03-Sep-2023
2:56:53 pm
आम चुनाव को प्रभावित करने की साजिश, अंबानी-अदाणी और वेदांता तक को निशाना बना रहीं देश विरोधी ताकतें
नई दिल्ली 03 सितम्बर 2023। लोकसभा 2024 आम चुनाव के नतीजों को प्रभावित करने के लिए भारत विरोधी ताकतें साजिशन देश के बड़े उद्योगपतियों पर एक के बाद एक आरोपों की झड़ी लगा रही हैं। अंबानी से लेकर अदाणी और वेदांता तक विदेश में बैठी इन ताकतों के निशाने पर हैं।
विदेशी संगठन देश के अंदर अपने रहमोकरम पर काम करने वाली संस्थाओं को हथियार बनाकर इन उद्योगपतियों को निशाना बना रहे हैं। वरिष्ठ पत्रकार अभिजीत मजूमदार का मानना है कि यह सब पीएम मोदी का विजय रथ थामने के लिए किया जा रहा है। इसकी फंडिंग जॉर्ज सोरोस और उनके जैसे अन्य पश्चिमी उद्योग परिवार कर रहे हैं। इनका इरादा फर्जी खबरों और आरोपों के जरिये जनता को सरकार के प्रति भड़काना और देश को नुकसान पहुंचाना है। ऑर्गेनाइज्ड क्राइम एंड करप्शन रिपोर्टिंग प्रोजेक्ट (ओसीसीआरपी) इनमें से एक प्रमुख संगठन है, जिसे सोरोस वित्तीय मदद मुहैया कराते हैं।
फर्जी खबरों के जरिये झूठी धारणा गढ़ने की कोशिश
जानकारों का मानना है कि अपनी साजिश को अंजाम तक पहुंचाने के लिए ये लोग देश के अंदर कई गैर सरकारी संगठनों को वित्तीय मदद मुहैया कराते हैं। दान और मदद के लिए भेजी गई इस रकम के बदले ये संस्थान फर्जी खबरों और आरोपों का प्रचार प्रसार कर इस तरह का माहौल पैदा करते हैं। इन फर्जी खबरों के जरिये झूठी धारणाएं गढ़ी जाती हैं जिससे देश के अंदर इन कारोबारियों की छवि धूमिल होती है और सरकारी तंत्र सवाल के घेरे में आता है। हालांकि सच का खुलासा होने के बाद ये संगठन गायब हो जाते हैं।
जी-20 जैसे बड़े आयोजन का फायदा उठाने की फिराक में
जानकारों के मुताबिक ऐसी देश विरोधी ताकतें जी-20 शिखर सम्मेलन जैसे बड़े वैश्विक आयोजन का भरपूर फायदा उठाने की फिराक में हैं। अदाणी समूह के खिलाफ हुए हालिया खुलासों को भी इसी कड़ी से जोड़कर देखा जा रहा है। जी-20 शिखर सम्मेलन के दौरान बड़ी संख्या में विदेशी मेहमान देश में होंगे और इस वक्त ये देश विरोधी ताकतें अपने कुप्रचार के एजेंडे से मोदी की छवि बिगाड़ने की पूरी कोशिश करेंगी। भारत को मिल रहे वैश्विक समर्थन से भी इनकी नींदें उड़ी हुई हैं।
जॉर्ज सोरोस और अन्य पश्चिमी उद्योग परिवार कर रहे फंडिंग
जानकारों की मानें तो विदेश में बैठे सोरोस जैसी भारत विरोधी ताकतों को केंद्र में ऐसी नरम सरकारें चाहिए जो किसी प्रलोभन या उनके निजी फायदे के बदले उन्हें बिना रोकटोक देश में उनका एजेंडा आगे बढ़ाने में मदद करती रहें। उन पर कोई प्रतिबंध न लगाएं और न कोई निगरानी रखें। नरम सरकारों की मेहरबानी के दम पर ये विदेशी ताकतें देश में नफरत फैलाने, इसके सामाजिक ताने बाने को कमजोर करने की अपनी साजिश को अंजाम देते रहते हैं। इसमें धर्मांतरण को बढ़ावा देना भी शामिल हैं।
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