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  • इमरजेंसी लाइट की तरह रोशनी दिखाता संविधान

    27-Nov-2024

     भारत को स्वाधीनता देने वाले लॉर्ड एटली सरकार के प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान ब्रिटिश संसद में पूर्व प्रधानमंत्री और तत्कालीन विपक्षी नेता विंस्टन चर्चिल ने कहा था कि आजाद होते ही भारत बिखर जाएगा और वहां दुष्टों, बदमाशों और लुटेरों के हाथ चला जाएगा। लेकिन चर्चिल की इस चाहत को स्वाधीन भारत की मनीषा ओर लोकतंत्र ने ध्वस्त कर दिया। दुनिया के विकसित और बड़े माने जाने वाले लोकतंत्रों में भी संवैधानिक व्यवस्था लागू होने या स्वाधीनता के तुरंत बाद समानता के आधार पर वयस्क मतदान का अधिकार नहीं मिला। लेकिन महज 18.33 प्रतिशत साक्षरता वाला देश लोकतंत्र की मजबूत राह पर चल पड़ा। ये सब उपलब्धियां अगर भारतीय लोकतंत्र को हासिल हुई हैं, तो इसकी मजबूत बुनियाद भारतीय संविधान ने रखी। लोकतांत्रिक शासन की बुनियाद पर भारत राष्ट्र की जो मजबूत इमारत खड़ी हुई है, वह मजबूत संवैधानिक बुनियाद के बिना संभव नहीं हो सकता था।

     
    इसी भारतीय संविधान ने 26 नवंबर के दिन 75 साल की यात्रा पूरी कर ली है। 64 लाख रूपए के कुल खर्च और दो साल 11 महीने 18 दिन तक चली बहसों के बाद इसी दिन 1949 में देश ने भारतीय संविधान को अंगीकृत किया था। इसके ठीक दो महीने बाद यानी 26 जनवरी 1950 को देश ने इसे लागू किया और तब से यह हमारी लोकतांत्रिक राष्ट्र यात्रा की आत्मा, धड़कन, रक्त बना हुआ है। संविधान की प्रारूप समिति के अध्यक्ष भीमराव अंबेडकर को हमने संविधान के निर्माता के रूप में स्वीकार कर लिया है, लेकिन संविधान के निर्माण में 389 सदस्यों के साथ ही बीएन राव जैसे व्यक्तियों का योगदान कम नहीं रहा। भारत को आजादी देना जब तय हुआ, उसके पहले पंडित नेहरू की अगुआई में एक अंतरिम सरकार बनी। उसी अंतरिम सरकार के मुखिया के नाते जवाहरलाल नेहरू और उप-प्रधानमंत्री सरदार पटेल ने कर्नाटक के जाने माने विधिवेत्ता बेनेगल नरसिम्ह राव यानी बीएन राव को विधि सलाहकार के पद पर नियुक्त करके संविधान का प्रारूप तैयार करने की जिम्मेदारी दे दी थी। मद्रास और कैंब्रिज विश्वविद्यालय से पढ़े राव 1910 में भारतीय सिविल सेवा के लिए चुने गए। साल 1939 में राव को कलकत्ता हाई कोर्ट का न्यायाधीश बनाया गया। इसके बाद जम्मू-कश्मीर के महाराजा हरि सिंह ने 1944 में उन्हें अपना प्रधानमंत्री बनाया। भारत सरकार के संविधान सलाहकार के नाते उन्होंने वर्ष 1945 से 1946 तक अमेरिका, कनाडा, ब्रिटेन आदि की यात्रा की और तमाम देशों के संविधानों का अध्ययन किया। इसके बाद उन्होंने 395 अनुच्छेद वाले संविधान का पहला प्रारूप तैयार करके संविधान की प्रारूप समिति के अध्यक्ष डा. आंबेडकर को सौंप दिया।
     
    29 अगस्त 1947 को प्रारूप समिति की बैठक में कहा गया कि संविधान सलाहकार बीएन राव द्वारा तैयार प्रारूप पर विचार कर उसे संविधान सभा में पारित करने हेतु प्रेषित किया जाए। संविधान सभा में संविधान का अंतिम प्रारूप प्रस्तुत करते हुए 26 नवंबर 1949 को भीमराव आंबेडकर ने जो भाषण दिया था, उसमें उन्होंने संविधान निर्माण का श्रेय बीएन राव को भी दिया है।
     
    भारतीय संविधान की कई विशेषताएं हैं। कार्यपालिका, विधायिका और न्यायपालिका के साथ ही राज्यों और संघ के बीच शक्तियों के विभाजन का सिद्धांत और नीति निर्देशक तत्व इन विशेषताओं में प्रमुख माने जाते हैं। मूल अधिकारों की व्यवस्था के साथ ही कानून के सामने सभी नागरिकों के बराबर होने की बात भारतीय संविधान की ताकत है। भारतीय संविधान कठोर भी है तो लचीला भी है। आजादी के बाद से लेकर अब तक संविधान में 127 संशोधन हो चुके हैं। कुछ जानकार इसे संविधान की कमजोरी बताते हैं तो कई के अनुसार यह संविधान की ताकत है। इन संशोधनों के बहाने तर्क दिया जाता है कि अपना संविधान जड़ नहीं है।
     
    चाहे अच्छाई का संदर्भ हो या कमजोरी का, पूरी तरह अच्छा या बुरा होने का विचार हकीकत नहीं हो सकता। तर्कशास्त्र, दर्शन शास्त्र और अध्यात्म, तीनों की मान्यता है कि पूर्णता का प्रतीक सिर्फ ईश्वर होता है, विचार या व्यक्ति नहीं। कुछ इसी अंदाज में भारतीय संविधान भी कुछ भारतीय विषयों को सही तरीके से चूक गया है। संविधान सभा की आखिरी बैठक के दिन संविधानसभा के सदस्य महावीर त्यागी ने सवाल पूछा था, ‘अपने संविधान में कहां हैं गांधी जी, कहां है गांधी के विचार।’ बेशक तब तक गांधी की हत्या हो चुकी थी, लेकिन गांधी के विचारों की तासीर तब तक आज की तुलना में कहीं ज्यादा महसूस की जा रही थी।
    भारतीय आजादी हर भारतीय के संघर्ष का नतीजा है, लेकिन गांधी की अगुआई, उनकी वैचारिक रोशनी और रचनात्मक कार्यों के बिना आजादी की कल्पना भी बेमानी है।
     
    दिलचस्प यह है कि संविधान में महावीर त्यागी को गांधी के इन रूपों के दर्शन नहीं हो पाए। दरअसल गांधी भारतीय संविधान में देश की मूल इकाई गांव को बनाना चाहते थे, व्यक्ति को नहीं। भारतीय परंपरा में व्यक्ति की महत्ता तो है, लेकिन वह सामाजिक प्राणी है। व्यक्ति की सामाजिकता का बेहतर रूप ग्रामीण समाज है। लेकिन गांधी के इस विचार को नेहरू ने ही नहीं, अंबेडकर ने भी नकार दिया। नकारने को लेकर दोनों के शब्द बेशक अलग थे, लेकिन उनका बोध एक ही था। दोनों का मानना था कि सदियों से बजबजा रहे गांव भारतीय लोकतंत्र को राह नहीं दिखा सकते।
     
    संविधान सभा में कई मुद्दों पर सदस्यों के बीच तीखी बहसें हुईं। आज जिसे हम लोकशाही या नौकरशाही कहते हैं, उसके अधिकारों को लेकर भी तीखी बहस हुई। दिलचस्प यह है कि संविधान सभा के कई सदस्यों को ब्यूरोक्रेसी को संवैधानिक अधिकार संपन्न बनाने पर एतराज था। उनका मानना था कि वे वैसा ही काम करेगी, जैसा अंग्रेजी सरकार के दौरान करती थी।
     
    एम ए अयंगार जैसे वरिष्ठ और माननीय सवाल ने नौकरशाही को वेतन और अधिकार की गारंटी देने पर सवाल उठाते हुए पूछा था था कि जब आम आदमी को रोटी और कपड़ा की गारंटी नहीं है, तो उन अधिकारियों को गारंटी क्यों दी जाए, जो विदेशी सत्ता की कठपुतली थी। तब पटेल ने अधिकारियों को ताकत देने का बचाव करते हुए तर्क दिया था कि एक बार अफसरशाही स्थापित हो जाएगी तो अधिकारी बदलाव के लिए राजी हो जाएंगे। लेकिन सवाल यह है कि क्या अधिकारी बदलाव को राजी हुए, क्या वे लोकोन्मुख हुए, क्या उनका व्यवहार पुराने जमींदारों, रजवाड़ों या अंग्रेजों जैसा नहीं है? अपवादों को छोड़ दें तो कितने अधिकारी ऐसे हैं, जो खुद को आम लोगों जैसा मानते हैं और विशेषाधिकार नहीं चाहते ?
     
    भारत की भाषा समस्या का समुचित समाधान संविधान में नहीं दिखता। देसी होकर भी हिंदी अब भी दक्षिण और पूर्व के कुछ राज्यों के लिए स्वीकार्य नहीं बन पाई है और विदेशी अंग्रेजी इस देश की असल ताकतवर और राजभाषा बनी हुई है। हिंदी की जगह भारतीय भाषाओं की बात करने से हिंदी विरोध की आंच धीमी तो हो जाती है, लेकिन अंग्रेजी की ताकत नहीं घटती। अंबेडकर चाहते थे कि संस्कृत राजभाषा हो, लेकिन नेहरू के दबदबे के चलते अपनी राय को मजबूती से रख नहीं पाए।
     
    सोचिए, अगर भारत में व्यक्ति की जगह गांवों को राज्य की इकाई माना गया होता तो क्या होता? संवैधानिक उपबंधों के चलते गांव हमारे विकास प्रक्रिया और शासन की इकाई होते। तब आज का भारतीय परिदृश्य बदला हुआ होता। भारतीयता की सोंधी गमक के साथ अंदरूनी पलायन और बेरोजगारी जैसी समस्याएं काबू में रहतीं। अधिसंख्य जनसंख्या गांवों में ही रहती।
    शहरीकरण तेज नहीं होता और जनसांख्यिकी दबाव से शहरी ढांचा चरमरा नहीं रहा होता। इसी तरह अगर अफसरशाही को संवैधानिक गारंटी नहीं मिली होती तो बराबरी का भाव कहीं ज्यादा होता, तब अफसरशाही माने भ्रष्टाचार नहीं होता, तब हर रोग की जड़ी और इलाज अफसरशाही को ही नहीं माना जाता। समाज और व्यवस्था के सबसे बड़ी योग्यता अफसरशाही नहीं होती, तब सामाजिक परिदृश्य बदला होता। इसी तरह भाषाओं को लेकर आए दिन होने वाली लड़ाइयों की गुंजाइश नहीं होती।

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  • एकादशी देवी कौन हैं जिनके नाम पर किया जाता है एकादशी व्रत, जानें एकादशी देवी की कथा

    27-Nov-2024

     मुर नामक राक्षस का वध करने गए थे विष्णु जी

    सतयुग में मुर नाम के एक दैत्य ने इंद्र समेत सभी देवताओं को परास्त कर दिया। डरे हुए देवता मदद के लिए भगवान शिव के पास गए। शिवजी ने उन्हें विष्णु जी के पास जाने की सलाह दी। देवताओं की प्रार्थना सुनकर क्षीरसागर में विश्राम कर रहे विष्णु जी जाग गए। वे मुर दैत्य का वध करने चन्द्रावतीपुरी गए। वहाँ उन्होंने सुदर्शन चक्र से असंख्य दैत्यों को मार डाला। इसके बाद वे बद्रिका आश्रम की सिंहावती गुफा में विश्राम करने चले गए। यह गुफा 12 योजन लंबी थी।
     
    मूर का वध करने के लिए विष्णु जी के अंश से उत्पन्न हुई एक कन्या
    मुर को जब पता चला कि उसे मारने के लिए श्री हरि उसके पास आने वाले हैं, तो उसने निद्रा में ही श्री हरि को मारने का प्रयास किया। गहरी निद्रा में सो चुके विष्णु को पता ही नहीं चला कि उन्हें जैसे ही मारने का विचार किया, वैसे ही श्रीहरि विष्णु के शरीर से एक कन्या निकली और उसने मुर दैत्य का वध कर दिया। मूर राक्षस की आवाज सुनकर जब विष्णु जी नींद से जागे, तो उनके सामने एक कन्या खड़ी थी।
     
    उत्पन्ना एकादशी से हुई एकादशी व्रत की शुरुआत
    भगवान विष्णु ने एक कन्या से उसका परिचय पूछा। कन्या ने बताया कि उसका नाम एकादशी है और वह विष्णु के शरीर से ही उत्पन्न हुई है। उसने यह भी बताया कि उसने मुर नामक राक्षस को विष्णु के आशीर्वाद से मारा है। प्रसन्न होकर विष्णु ने एकादशी को सभी तीर्थों में श्रेष्ठ होने का वरदान दिया। उ एकादशी का व्रत रखने और भगवान विष्णु की पूजा करने से आज के दिन पूजा से मोक्ष और पापों से मुक्ति मिलती है। साथ ही विष्णु जी की पूजा करने से जीवन-मरण के चक्र से छुटकारा मिलता है। अनजाने में किए गए पाप भी नष्ट होते हैं।

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  • आप भी इस साल बच्चे को भेजना चाहते हैं प्ले स्कूल तो पहले जान लें किस उम्र में भेजना है सही, इन बातों का रखना होगा ख्याल

    17-Jun-2024

    बच्चों के लिए प्ले स्कूल शुरू करने की सही उम्र तय करना हर माता-पिता के लिए एक महत्वपूर्ण निर्णय होता है। प्ले स्कूल, अक्सर छोटे बच्चों के लिए पहली औपचारिक शैक्षिक सेटिंग होती है, जो बच्चों को घर के बाहर एक अलग वातावरण से परिचित कराने का काम करती है।बच्चों के इस परिवर्तन के लिए सही समय का चयन करना पेरेंट्स के लिए थोड़ा मुश्किल होता है। हालांकि, इसे तय करने के लिए कुछ बातों का ध्यान में रखना बेहद जरूरी है। इसकी सही और सटीक जानकारी होना बहुत जरूरी है। चूंकि अभी नए सत्र की शुरुआत हो रही है और बहुत से माता-पिता अपने बच्चों का प्ले स्कूल में एडमिशन करवाने का सोच रहे होंगे तो आज हम आपको बताएंगे कि छोटे बच्चों को प्ले स्कूल भेजने का सही समय क्या हो सकता है और इसे तय करने में एक पेरेंट्स को किन बातों का ख्याल रखना जरूरी होता है।

    बच्चों को प्ले स्कूल भेजने की सही उम्र क्या है
     
    बच्चों के लिए प्ले स्कूल शुरू करने की सही उम्र आम तौर पर 2 से 3 साल के बीच की मानी जाती है। इस उम्र के बच्चे बाहरी ज्ञान लेने के लिए तैयार हो जाते हैं। हालांकि, यह उम्र भी कई चीजों को देखते हुए तय किया जाता है।
     
    2 से 3 साल की उम्र में होती है विकासात्मक तत्परता
     
    2 से 3 साल की उम्र के बच्चे में सामाजिक, भावनात्मक और संज्ञानात्मक कौशल विकसित होना शुरू हो जाते हैं। यही कारण है कि इस उम्र में बच्चे प्ले स्कूल जाने और वहां जाकर कुछ सीखने के लिए बिल्कुल तैयार हो जाते हैं।
     
    सामाजिक संपर्क बनाने लायक हो जाते हैं बच्चे
     
    इस उम्र में बच्चे अपने साथियों के साथ बातचीत करने में रुचि दिखाना शुरू कर देते हैं, जो उनके सामाजिक कौशल को विकसित करने में मदद करता है। ऐसे में, 2 से 3 साल के बीच की उम्र उन्हें प्ले स्कूल में भेजने के लिए उपयुक्त होता है।
     
    जब हो जाए बच्चों में भाषा का ज्ञान
     
    बच्चे के अंदर अक्सर 3 साल की उम्र तक भाषा का ज्ञान हो जाता है। क्या, कब और कैसे बोलना है जैसी चीजें इसी उम्र में बच्चों में विकसित होती है। ऐसे में, प्ले स्कूल भेजने से उनकी शब्दावली और संचार क्षमताओं में और वृद्धि हो सकती है।
    बच्चों को प्ले स्कूल भेजने के फायदे
     
    प्ले स्कूल के माध्यम से दिनचर्या शुरू करने के लिए बच्चों में एक उचित वातावरण मिलता है, जिससे उन्हें बाद में औपचारिक स्कूली शिक्षा के लिए तैयार किया जाता है। ताकि, आगे चलकर जब उन्हें स्कूल भेजा जाए, तो वो मानसिक रूप से भी तैयार रहें।हालांकि, यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि प्ले स्कूल जाने की सही उम्र अलग-अलग बच्चे के विकास और परिवार की विशिष्ट परिस्थितियों के आधार पर भिन्न हो सकती है।

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  • कॉन्फ्लुएंस महाविद्यालय में उत्पीडऩ कमेटी द्वारा अतिथि व्याख्यान का आयोजन

    18-Oct-2023

    राजनांदगांव। राजनांदगांव शहर के कॉन्फ्लुएंस महाविद्यालय में दिनांक 16 अक्टूबर 2023, दिन सोमवार को उत्पीडऩ कमेटी के द्वारा अतिथि व्याख्यान कार्यक्रम का आयोजन किया गया जिसमें वक्ता के रूप में राजनांदगांव जिले के किशोर न्याय बोर्ड के सदस्य श्री विपिन कुमार ठाकुर जी उपस्थित थे ढ्ढ महाविद्यालय के प्राचार्य डॉक्टर रचना पांडे ने कहा कि इस कार्यक्रम का उद्देश्य समाज के रीति-रिवाज के बारे में एवं  समाज में लिंग, जाति, भेदभाव, सामाजिक कुरीतियों के बारे में बताना । आजकल महिला पुरुष कार्यक्षेत्र में भी विभिन्न तरह के उत्पीडऩ किए जाते हैं जिससे हम किस तरह इन समस्याओं से बच सकते हैं अपने आप को उभर सकते हैं इन सभी बातों को ध्यान में रखकर यह कार्यक्रम कराया जा रहा है।

     कार्यक्रम में विद्यार्थियों के द्वारा द्वि पक्षीय संचार माध्यम के रूप में विभिन्न विद्यार्थियों ने प्रश्न उत्तर के रूप में बढ़-चढक़र हिस्सा लेकर श्री विपिन कुमार ठाकुर जी को पूछा गया जिसमें सभी विद्यार्थियों की सहभागिता भी रही। साथ ही उन्होंने तृतीय लिंग की समाज में भूमिका एवं महिला उत्पीडऩ की प्रक्रिया के बारे में समस्त विद्यार्थियों को अपने इस अतिथि व्याख्यान कार्यक्रम में विस्तार पूर्वक बताया जिसमें महिलाओं के सुरक्षा के लिए - सती आयोग अधिनियम 1987, दहेज प्रथा निषेध अधिनियम 1961, महिलाओं का अश्लील प्रतिनिधित्व अधिनियम 1986, अनैतिक व्यापार अधिनियम 1956, घरेलू हिंसा अधिनियम 2005, कार्य स्थल पर महिलाओं के साथ यौन उत्पीडऩ रोकथाम 2013 की धाराओं के बारे में उन्होंने समस्त विद्यार्थियों को अपने इस अतिथि व्याख्यान में विस्तार पूर्वक बताया व्याख्यान की अगली कड़ी में बाल विवाह महिलाओं की सुरक्षा के लिए राज्य सरकार एवं केंद्र सरकार द्वारा बनाए गए विभिन्न - विभिन्न महिला, किशोर सुरक्षा एप के बारे में बताया साथ ही उन्होंने महिला सुरक्षा एवं बाल सुरक्षा के लिए विभिन्न प्रकार के हेल्पलाइन नंबर के बारे में भी बताया जिसमें महिला सुरक्षा हेल्पलाइन नंबर 181, छत्तीसगढ़ महिला आयोग हेल्पलाइन नंबर 0771242997, पुलिस हेल्पलाइन नंबर 100, एमसीयू हेल्पलाइन नंबर 0112694 2369 एवं चाइल्ड हेल्पलाइन नंबर 1098 के बारे में उन्होंने विस्तार पूर्वक बताया एवं साथ ही उन्होंने राज्य सरकार द्वारा गठित की गई अभिव्यक्ति एप के बारे में भी बताया इसी प्रकार से अंतिम कड़ी में उत्पीडऩ सेल के संयोजिका सुश्री देविका देवांगन ने धन्यवाद ज्ञापित करके उनका इस अतिथि व्याख्यान कार्यक्रम में कार्यक्रम का आभार व्यक्त किया एवं इस कार्यक्रम में उत्पीडऩ कमेटी के सदस्य के रूप में श्रीमती यशु साहू एवं श्री मयंक देवांगन की भी बहुत अच्छी भूमिका रही एवं साथ ही साथ महाविद्यालय के समस्त प्राध्यापकगण श्रीमती प्रीति इंदौरकर, श्री विजय मानिकपुरी, श्री राधेलाल देवांगन, सुश्री आभा प्रजापति, श्री धनंजय साहू, श्रीमती सुमन साहू, श्री सुधीर मिश्रा, सुश्री ऐश्वर्या श्रीवास्तव, सुश्री युक्त साहू, श्रीमती सीमा शर्मा की भूमिका रही एवं महाविद्यालय में अध्ययनरत समस्त छात्र-छात्राएं भी इस अतिथि व्याख्यान कार्यक्रम में उपस्थित थे।

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  • सरस्वती शिशु मंदिर में होनहार छात्रों का हुआ सम्मान

    14-Oct-2023

    डोंगरगांव। विद्या भारती अखिल भारतीय शिक्षा संस्थान द्वारा आयोजित प्रतियोगिताओं में स्थानीय डोंगरगांव सरस्वती शिशु मंदिर के भैया बहनों के द्वारा जिला स्तर,संभाग स्तर ,प्रांत स्तर क्षेत्र स्तर पर विविध प्रतियोगिताओं में जिसमें क्रीडा, बौद्धिक,संस्कृति,विज्ञान से संबंधित प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाता है जिसमें भैया बहनों द्वारा उत्कृष्ट प्रदर्शन करने पर विद्यालय द्वारा सम्मानित किया गया। विद्यालय के मीडिया प्रभारी जितेंद्र कुमार वैष्णव एवं क्रीड़ा प्रभारी सोहन यदु ने जानकारी देते हुए बताया कि विद्या भारती द्वारा आयोजित प्रतियोगिताओं में भैया बहनों द्वारा प्रतिभागी के रूप में सम्मिलित होकर नगर व विद्यालय को गौरवित किया। क्रीडा प्रतियोगिता में विभाग स्तर पर भैया बहनों द्वारा उत्कृष्ट प्रदर्शन करते हुए कुल 56 पदों के साथ विभाग में प्रथम स्थान पर रहा। जिसमें 13 भैया बहनों का प्रांत स्तरीय प्रतियोगिता में चयन हुआ।

     
     
    प्रांत स्तरीय प्रतियोगिता के पश्चात क्षेत्र स्तरीय प्रतियोगिता में तीन भैया बहनों का चयन हुआ। जिसमें क्षेत्र स्तरीय प्रतियोगिता में छत्तीसगढ़ प्रांत का प्रतिनिधित्व करते हुए भैया मुकेश पटेल आत्मज श्री मनबोधी पटेल ने 400 मीटर बाधा दौड़ में प्रथम स्थान प्राप्त कर अखिल भारतीय क्रीड़ा प्रतियोगिता हेतु अपना नाम स्थानीय विद्यालय डोंगरगांव की 23वें खिलाड़ी के रूप में दर्ज कराया। इससे पूर्व भी विद्यालय द्वारा 22 अखिल भारतीय खिलाड़ी विद्यालय को गौरवान्वित कर चुके हैं। पिछले वर्ष भी बहन प्रियंका बंजारे जिन्होंने ऊंची कूद में अखिल भारतीय स्तर पर तृतीय स्थान प्राप्त कर विद्यालय नगर व माता-पिता को गौरवान्वित किया है । भैया बहनो की उपलब्लियों के लिए संस्था की ओर से उत्कृष्ट छात्र सम्मान समारोह 2023 आयोजन किया गया जिसके भैया बहनो को विधाओ के तहत पुरस्कृत किया। विज्ञान मॉडल पर क्षेत्र स्तरीय प्रतियोगिता में छात्र गुलेश पटेल को द्वितीय स्थान पुरस्कृत किया गया । इसके साथ ही विभिन्न बौद्धिक , विज्ञान, वैदिक गणित, विभिन्न खेलकुद जैसी स्पर्धाओं में स्थान प्राप्त करने वाले अन्य 36 भैया बहनो को अभिभावकों , अतिथियो की उपस्थिति में सम्मानित किया गया । कार्यक्रम में मुख्य अतिथि श्रीमति मीना पटेल ,पूर्व आचार्या व शिक्षक, श्रीमति मोमिन पटेल पार्षद , डोंगरगांव क्षेत्र के पत्रकार श्रीमान् टुम्मन साहू , श्री देवेंद्र देवांगन ,श्री महेंद्र लेंझारे विशिष्ट अतिथि रूप म़े मौजूद रहे । प्राचार्य श्री जितेंद्र शर्मा ने प्रतिवेदन के माध्यम से विषयो़ की जानकारी प्रेषित कर विद्या भारती के विधाओ की महत्व को बताया व धन्यवाद ज्ञापित किया । आयोजन सभी आचार्य दीदियों व पदाधिकारियों के सहयोग से सफलतापूर्वक संपन्न हुआ । मंच संचालन श्री प्रेमचंद साहू व मार्ग दर्शक की भूमिका में श्री हृदय राम पटेल आचार्य रहे। 

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  • नुक्कड़ नाटक के द्वारा चलाया गया वोट देने का जागरूकता अभियान

    09-Oct-2023

    कान्फ्लूएंस महाविद्यालय के एनएसएस के प्रशिक्षार्थियो द्वारा आजादी के अमृत महोत्सव स्वीप के अंतर्गत मतदाता जागरूकता के तहत नुक्कड़ कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के उद्देश्यों पर प्रकाश डालते हुए कार्यक्रम प्रभारी विजय मानिकपुरी ने कहा कि देश को मजबूत बनाने के लिए हमेशा वोट के अधिकार का प्रयोग करें, अगर हम वोट नहीं देते हैं तो हम अपने इतिहास को नजर अंदाज कर रहे हैं और भविष्य को असुरक्षित कर रहे है। नुक्कड़ के द्वारा मतदान जागरूकता अभियान के द्वारा मतदान प्रतिशत को बढ़ा सकते हैं। गोद ग्राम पर्रीकला क्षेत्रो में नुक्कड़ कराया गया।

    महाविद्यालय के डायरेक्टर ने कहा वोट हमारा अधिकार है यह हम सब को बराबर अधिकार है वोट देने के लिए। एक वोट की शक्ति यह दर्शाता है जो पार्टी देशहित में कार्य न करे उसे हम बदल सकते है। 
    महाविद्यालय प्राचार्य डॉक्टर रचना पांडे ने कहा कि वोट के माध्यम से हम पूरे समाज में परिवर्तन ला सकते हैं और एक अच्छे समाज का निर्माण मैं भागीदार हो सकते हैं।सभी प्रशिक्षार्थियो को जागरूकता रैली आयोजित के लिए शुभकामनाएं दी। 
     एनएसएस के समस्त प्रशिक्षार्थियों ने इस रैली में नारे लगाते हुए -जन-जन की पुकार है वोट देना अधिकार है। गांव के लोगों को जागरूक किया।

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  • जब से भूपेश सरकार बनी तब से भ्रष्टाचार के नए-नए तरीके ईजाद कर रही: अनुराग ठाकुर

    06-Oct-2023

    रायपुर। केन्द्रीय खेल एवं युवा कल्याण मंत्री अनुराग ठाकुर ने यहां कांग्रेस की भूपेश बघेल सरकार के काले कारनामों को दर्शाने वाले एप को लांच करते हुए आरोप लगाया कि भ्रष्टाचार करो और भूपे करो के जरिये कांग्रेस सरकार ने छूट दे दी है। उन्होंने कहा कि जब से भूपेश सरकार बनी है तब से भ्रष्टाचार के नए-नए तरीके ईजाद कर रही है। केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा कि जब से छत्तीसगढ़ बना है तब से पहली बार ऐसी सरकार आई है जो नए-नए तरीके निकाल कर भ्रष्टाचार के नए-नए आयाम तैयार करती है। दो नंबर की शराब कैसे बेची जाती है, कोयला परिवहन में कैसे खाया जाता है, हर मामले में भ्रष्टाचार के नए प्रयोग यहां हो गए। उन्होंने कहा कि मेरा यहां के मुख्यमंत्री से सवाल है कि छत्तीसगढ़ में 36 प्रमुख वादे किए थे, वह पूरे क्यों नहीं हुए। वादे पूरे करना तो दूर, बदले में माफिया राज स्थापित कर दिया। छत्तीसगढ़ में लैंड माफिया, सैंड माफिया, शराब माफिया, ड्रग माफिया, माफिया पर माफिया और माफिया राज से छत्तीसगढ़ माफी चाहता है। मैंने यहां के युवाओं में जो आक्रोश देखा है, वह गवाही दे रहा है कि युवा अपने आपको ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं। युवा प्रतीक्षा कर रहे थे कि इनका भी समय आएगा।

    पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने मीडिया संवाद सह एप लांच कार्यक्रम में कहा कि भूपेश बघेल सरकार के भ्रष्टाचार को दिखाने इस एप को भाजपा ने लांच किया गया। 5 साल में कांग्रेस ने भ्रष्टाचार का कीर्तिमान बनाया है। कांग्रेस के घोटालों की सूची बहुत लंबी है। पीएससी में 18 पदों पर हुई नियुक्ति पर माननीय उच्च न्यायालय ने रोक लगा दी है। प्रदेश के युवाओं को महादेव एप के जरिये जुआ सट्टा में झोंका जा रहा हैं। पहले कांग्रेसी नारा लगाते थे छत्तीसगढ़ की चार चिन्हारी नरवा, गरवा, घुरवा, बाड़ी, पर अब यह बदल गया हैं, उसकी जगह अब चोरी, बेईमानी, भ्रष्टाचारी और लबारी का नारा लगने लगा है। इस दौरान कार्यक्रम में वरिष्ठ नेता, पूर्व मंत्री एवं विधायक बृजमोहन अग्रवाल, सांसद सुनील सोनी, पूर्व मंत्री एवं प्रदेश प्रवक्ता राजेश मूणत, पूर्व मंत्री महेश गागडा, प्रदेश प्रवक्ता दीपक म्हस्के, केदार गुप्ता, प्रदेश मीडिया प्रभारी अमित चिमनानी, सह प्रभारी अनुराग अग्रवाल उपस्थित थे।

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  • 10-12वीं पूरक व अवसर परीक्षा पुनर्गणना-पुनर्मूल्यांकन के परिणाम घोषित

    30-Sep-2023

    रायपुर। छत्तीसगढ़ माध्यमिक शिक्षा मंडल द्वारा आयोजित हाईस्कूल एवं हायर सेकण्डरी पूरक एवं अवसर परीक्षा वर्ष 2023 के पुनर्गणना एवं पुनर्मूल्यांकन के परीक्षा परिणाम आज घोषित कर दिए गए। परीक्षा परिणाम मंडल की वेबसाइट www.cgbse.nic.in पर उपलब्ध है। जिसमें छात्र अपना परीक्षाफल प्राप्त कर सकते है।


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  • पराबैंगनी किरणें कर रही मानव को अनेक असाध्य रोगों से ग्रसित_ डॉ. पांडे

    27-Sep-2023

    राजनांदगांव/कान्फ्लूएंस कॉलेज के राष्ट्रीय सेवा योजना एवं आइक्यूएसी प्रकोष्ठ और शिक्षा विभाग के द्वारा विश्व ओजोन दिवस पर पोस्टर प्रतियोगिता का आयोजन किया गयाl

    प्रतियोगिता मे दीपाली देशमुख, आफरीन और हीना बोरकर ने क्रमश: प्रथम द्वितीय एवम तृतीय स्थान प्राप्त किया l
    प्रो. विजय मानिकपुरी रासेयो इकाई ने ओजोन परत के छरण और इससे जुड़े वैज्ञानिक तथ्यों,ओजोन परत के महत्व और इसके साथ जुड़ी हुई मानव जनित समस्याओं की जानकारी सरल शब्दों में दिए l प्राचार्य डॉ. रचना पांडे ने विद्यार्थियों को ओजोन परत संरक्षण के प्रति जागरुक करते हुए कहा कि पराबैंगनी किरणें मानव को त्वचा कैंसर,चर्म रोग सहित अनेक असाध्य रोगों से ग्रसित कर रही है हमें एयर कंडीशनर व रेफ्रिजरेटर पर निर्भरता कम करते हुए अधिक से अधिक पौधारोपण करनी चाहिएl
    महाविद्यालय के डायरेक्टर आशीष अग्रवाल,संजय अग्रवाल एवं डॉ. मनीष जैन ने संयुक्त रूप से कहा कि पृथ्वी पर बढ़ते ग्लोबल वार्मिंग एवं वाहनों की बढ़ोतरी से निकलने वाले हानिकारक प्रदूषण से ओजोन परत छरण हो रहा है जिससे मानव जगत को हानि पहुंच रही हैl इसकी रक्षा सुरक्षा तथा इस समस्या को दूर करने की जिम्मेदारी मानव की है प्रकृति संरक्षण का संकल्प ही इस समस्या को दूर कर सकती हैl कार्यक्रम में विद्यार्थियो ने पोस्टर बनाकर लोगों को ग्लोबल वार्मिंग के प्रति जागरूक करने का संकल्प लिया l

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  • शिक्षक दिवस में शिक्षकों के लिए आयोजित की गई विभिन्न प्रतियोगिता विजेता शिक्षकों का किया सम्मान

    11-Sep-2023

    रायपुर। कन्फ्लूएंस कॉलेज में शिक्षक दिवस हर्षोल्लास के साथ  मनाया गया।  कार्यक्रम का शुभारंभ डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन के चित्र के समक्ष दीप प्रज्वलन एवं पुष्प अर्पित कर किया गया। प्रो विजय मानिकपुरी ने कहा कि हमें शिक्षक दिवस के दिन ही नहीं अपितु जीवन भर अपने शिक्षकों का सम्मान करना चाहिएद्यहमारी हर उपलब्धि हर विशेषता का उद्दम स्रोत गुरुजनों के श्रीचरणों से ही है। प्राचार्य डॉ रचना पांडे ने कहा कि भारतीय संस्कृति में शिक्षक को भगवान के समान माना जाता है वहीं शिक्षक दिवस गुरु और शिष्य के बीच बने संबंध को जीने का और गुरु के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करने का त्यौहार है। कार्यक्रम में विशेष रूप से उपस्थित अतिथि डॉ मनीष जैन ने शिक्षक दिवस की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि हम समाज में अपने गुरुजनों को उचित सम्मान और स्थान देने के लिए वचनबद्ध है क्योंकि समाज उनके प्रदर्शित मार्ग पर चलता है घर का बच्चा शिक्षकों के ऊपर अधिक विश्वास करता है आज विविध आयोजन गुरुओं के सम्मान में किया जाना स्वस्थ समाज के लिए आवश्यक है।  महाविद्यालय के डायरेक्टर एवं अतिथि संजय अग्रवाल ने कहा कि शिक्षक शिक्षा के माध्यम से भविष्य को आकार देने का कार्य करते हैं और वह अनुकरणीय,समर्पण,नवाचार और प्रतिबद्धता प्रदर्शित करते हैं शिक्षा प्रणाली को आगे बढ़ाने में गहरी रुचि लेते हैं और छात्रों को सशक्त बनाने में अग्रसर रहते हैं आज उनके सम्मान से हम सभी शिक्षकों के उन प्रयासों का सम्मान कर रहे हैं जो भविष्य निर्माता के रूप में कार्यरत हैं।

     महाविद्यालय के शिक्षा विभाग की  प्रीतिइंदौर ,धनंजय साहू,मयंक देवांगन आदि शिक्षकों ने अपने विचार प्रस्तुत किए जिसमें प्रमुखता से राधेलाल देवांगन, आभा प्रजापति, यशु साहू,ओम, युकता,सुमन,सीमा एवं अन्य शिक्षकों की उपस्थिति रही विद्यार्थियों द्वारा शिक्षकों के लिए म्यूजिकल कुर्सी दौड़, बलून फूलओं प्रतियोगिता,मोमबत्ती जलाव प्रतियोगिता जैसे आकर्षक प्रतियोगिताएं आयोजित किया गया और विजेता शिक्षकों को पुरस्कार तथा सम्मान विद्यार्थियों द्वारा प्रदान किया गया। विद्यार्थियों ने कार्यक्रम के प्रारंभ में सर्वप्रथम शिक्षकों को तिलक लगाकर पुष्पवर्षा करके पुष्प कुछ भेंट कर स्वागत किया और उनके योगदान को स्मरण करते हुए संस्कृतिक कार्यक्रम तथा भाषण एवं विचार प्रदर्शन जैसे विभिन्न आयोजन दिन भर संचालित किये। अंत में राष्ट्रीय सेवा योजना के विद्यार्थियों द्वारा शिक्षकों को श्रीफल और गिफ्ट देकर उनका सम्मान किया गया। 

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  • यूपीएससी सिविल सेवा सहित कई परीक्षाओं के कलेंडर जारी

    18-Aug-2020

     नयी दिल्ली : संघ लोक सेवा आयोग ने वर्ष 2021 में होने वाली परीक्षाओं का कैलेंडर जारी कर दिया है। इस कैलेंडर में यूपीएससी सिविल सेवा समेत अन्य कई परीक्षाओं का शेड्यूल दिया गया है। आयोग ने अपनी आधिकारिक वेबसाइट upsc.gov.in पर एग्जाम कैलेंडर 2021 जारी किया है।

    Exam Calendar 2021

    कंबाइंड जियो साइंटिस्ट प्रारंभिक परीक्षा 2021 – 21 फरवरी 2021
    सीडीएस एग्जाम 1 – 7 फरवरी 2021
    यूपीएससी आरटी एग्जाम – 21 फरवरी 2021
    यूपीएससी आरटी एग्जाम – 7 मार्च 2021
    सीआईएसएफ एसी (एग्जाक्यूटिव) एलडीसीई – 14 मार्च 2021
    एनडीए व एनए एग्जाम (1) – 18 अप्रैल 2021
    यूपीएससी आरटी एग्जाम (ईपीएफओ) – 9 मई 2021
    सिविल सर्विस प्रीलिम्स एग्जाम 2021 – 27 जून 2021
    आईएफएस प्रीलिम्स एग्जाम – 27 जून 2021
    यूपीएससी आरटी एग्जाम – 4 जुलाई 2021
    आईईएस / आईएसएस – 16 जुलाई 2021
    कंबाइंड जियो साइंटिस्ट मेन एग्जाम – 17 जुलाई 2021
    इंजीनियरिंग सर्विसेस प्रीलिम्स एग्जाम – 18 जुलाई 2021सीएपीएफ एग्जाम – 8 अगस्त 2021

    कंबाइंड मेडिकल सर्विसेस एग्जाम – 29 अगस्त 2021
    यूपीएससी आरटी एग्जाम – 29 अगस्त 2021
    एनडीए व एनए एग्जाम (2) – 5 सितंबर 2021
    यूपीएससी आरटी एग्जाम – 12 सितंबर 2021
    सिविल सर्विसेस मेन एग्जामिनेशन 2021 – 10 अक्टूबर 2021
    सीडीएस (2) – 14 नवंबर 2021
    आईएफएस मेन एग्जाम – 21 नवंबर 2021
    एसओ / स्टेनो (एलडीसीई) – 11 दिसंबर 2021

    कैलेंडर में यूपीएससी सिविल सेवा मुख्य परीक्षा 2020 की तारीखों की भी जानकारी दी गई है। इसके अनुसार, आयोग सिविल सेवा मुख्य परीक्षा 2020 का आयोजन 8 जनवरी 2021 से करेगा। 8, 9, 10, 16, 17 जनवरी 2021 को परीक्षाएं आयोजित की जाएंगी।

    वहीं, भारतीय वन सेवा (IFS) मुख्य परीक्षा 2020 का आयोजन 28 फरवरी 2021 से शुरू होगा। ये परीक्षाएं 9 मार्च 2021 तक चलेंगी।


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  • सीबीएसई 10 वीं में 91.46% बच्चें पास

    15-Jul-2020

     सेंट्रल बोर्ड ऑफ सेकेंड्री एजुकेशन (CBSE) के 10वीं का रिजल्ट जारी कर दिया गया है। CBSE बोर्ड द्वारा ऑफिशियल वेबसाइट results.nic.in, cbseresults.nic.in और cbse.nic.in पर रिजल्ट जारी किया गया है। इस साल 10वीं CBSE बोर्ड की परीक्षा में 18.89 लाख से ज्यादा स्टूडेंट्स शामिल हुए हैं। इस वर्ष 10वीं की परीक्षा में 18 लाख 85885 बच्चे रजिस्टर्ड हुए थे, लेकिन इनमें से 18 लाख 73015 बच्चों ने परीक्षा दी। इनमें से 17 लाख 13121 बच्चे यानि 91.46% बच्चे पास हुए हैं।


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  • सीबीएसई 10वीं में 91.46% बच्चे पास

    15-Jul-2020

     सेंट्रल बोर्ड ऑफ सेकेंड्री एजुकेशन (CBSE) के 10वीं का रिजल्ट जारी कर दिया गया है। CBSE बोर्ड द्वारा ऑफिशियल वेबसाइट results.nic.in, cbseresults.nic.in और cbse.nic.in पर रिजल्ट जारी किया गया है। इस साल 10वीं CBSE बोर्ड की परीक्षा में 18.89 लाख से ज्यादा स्टूडेंट्स शामिल हुए हैं। केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक ने ट्वीट करते हुए सभी बच्चों को शुभकामनाएं दी हैं। बोर्ड द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक कुल 91.46% बच्चे पास हुए हैं।


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  • आई आई टी में प्रवेश के बदलेंगे नियम, 12वीं का परफॉर्मेंस मापदंडों से हटेगा

    09-Jul-2020

     कोरोना वायरस संक्रमण के चलते लगभग सारे एकेडमिक कैलेंडर गड़बड़ा गए हैं। ऐसे में जब भारत सरकार 12वींं कक्षा के बच्चों के लिए वैकल्पिक मोड की तलाश कर रही है, ऐसे में उच्च शिक्षा संस्थान भी विकल्पों पर ही जा रहे हैं। इसी कड़ी में इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नालॉजी (IIT) भी इस सत्र के लिए अपने एडमिशन मापदंडों में बदलाव की योजना बना रहा है। इसके तहत एडमिशन मापदंडों से 12वीं के परफॉर्मेंस को हटाया जा सकता है।

    बता दें कि आईआईटी में प्रवेश के लिए जेईई एडवांस्ड रैंक होल्डर के 12वीं कक्षा में कम से कम 75% अंक होना अनिवार्य है या फिर उसके टॉप 20 पर्सेंटाइल होने जरुरी है। इसी तरह SC/ST के बच्चों के लिए 12वीं में कम से कम 65% अंक या टॉप 20 पर्सेंटाइल होने जरुरी है। तभी इन्हें IIT में प्रवेश की पात्रता होगी। लेकिन CBSE और CISCE बोर्ड द्वारा 12वीं की परीक्षाएं रद्द करने के बाद IIT के इस बार के एडमिशन मापदंडों में बदलाव करने की तैयारी है। इसके तहत बच्चों का 12वीं कक्षा के परफॉर्मेंस को मापदंडों से हटाया जा सकता है। बता दें कि CBSE और CISCE बोर्ड ने 10वीं और 12वीं की परीक्षाओं को रद्द करते हुए बच्चों को शेष बचे पेपरों में इंटरनल असेसमेंट और औसत अंक देने का फैसला किया। जाहिर है इस फैसले से छात्रों के अंक प्रभावित होंगे। इसी के चलते IIT ने 12वीं के परफॉर्मेंस को एडमिशन की योग्यता से हटाने की तैयारी में है।
    जॉइंट इंप्लिमेंटेशन कमेटी (JIC) की बैठक में सभी 23 IIT के जेईई चेयरपर्सन शामिल हुए। बैठक में IIT एडमिशन के मापदंडों पर प्रमुखता से बात हुई। इस दौरान प्रस्ताव रखा गया कि कोरोना वायरस संक्रमण की स्थिति में सभी बोर्डों ने अलग-अलग कदम उठाए हैं। ऐसे में एडमिशन मापदंडों में 75% और 65% (SC/ST) की अहर्ता हटा देना चाहिए। ये बैठक इस महीने की शुरुआत में हुई थी।
    बताया जा रहा है कि कमेटी में इस बात सहमति बनी कि इस साल जेईई एडवांस्ड क्लियर करने वाले विद्यार्थियों के केवल बोर्ड परीक्षा पास होने का नियम ही लागू किया जाए। JIC सदस्य ने बताया कि पूर्व में कुछ रैंक होल्डर ऐसे भी थे जिन्हें न्यूनतम 75% अंक नहीं आने या फिर टॉप 20 परसेंटाइल कट ऑफ में नहीं आने के कारण एडमिशन नहीं दिया गया। ऐसे में मौजूदा स्थिति में जब औसत अंक दिए जा रहे हैं तो ये मापदंड काफी महत्वपूर्ण रहेगा। इसलिए इसे हटाने की तैयारी है।
    दरअसल कोविड 19 की गंभीर स्थिति के चलते CBSE और CISCE बोर्ड ने अपनी 10वीं और 12वीं की शेष बची परीक्षाएं रद्द कर दी। इसके चलते जेईई मेन की परीक्षा को भी स्थगित करना पड़ा। दो बार स्थगित हो चुकी जेईई मेन की परीक्षा अब नई तारीखों में 1 से 6 सितंबर तक आयोजित होगी जबकि जेईई एडवांस्ड परीक्षा 27 सितंबर को आयोजित होगी।

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  • सरकारी स्कूलों ने चालू की लाउड स्पीकर क्लास

    27-Jun-2020
                         नई दिल्ली : कोविड-19 के संक्रमण से बचने के झारखंड में लॉकडाउन (Lockdown) किया गया है | सरकार ने तमाम निजी स्कूलों के साथ सरकारी स्कूलों को भी बंद कर दिया है, लेकिन शिक्षा बाधित नहीं हो इसके लिए अब निजी और सरकारी स्कूलों के बच्चों को एंड्रॉयड फोन के जरिये पढ़ाया जा रहा है | हालांकि, दुर्भाग्य की बात यह है कि गांव के गरीब बच्चों के पास एंड्रॉयड फोन नहीं होने की वजह से वे पढ़ाई नहीं कर पा रहे हैं | इस स्थिति को देखते हुए दुमका जिले के सरकारी स्कूलों के टीचरों ने बच्चों को पढ़ाने के लिए एक नया तरीका निकाला है | 
                    दुमका के सरकारी स्कूलों के शिक्षकों ने इन गरीब बच्चों को शिक्षित करने के लिए एक अनूठी पहल की और बच्चों को लाडड स्पीकर के माध्यम से शिक्षा देने का प्रयास किया है. गांव में लाउड स्पीकर लगाकर बच्चों को शिक्षित किया जा रहा है | जिले की डीसी राजेश्वरी बी ने भी इस अनूठी पहल को सराहते हुए ऐसी शिक्षा को शिक्षकों को धन्यवाद दिया है |
                     उन्होंने कहा कि यह बहुत अच्छी पहल है | टीचरों द्वारा ऐसे मुश्किल हालात में बच्चों को लाउडस्पीकर से पढ़ाये जाने की पहल की हम सराहना करते हैं | इस पहल से बच्चों के अभिभावकों को भी यह पता चल रहा है कि उनके बच्चे क्या पढ़ रहे हैं, जिसका ग्रामीण क्षेत्रों में सामान्यत: अभाव रहता है | मैं आग्रह करती हूं कि और शिक्षकों को भी इस तरह का प्रयास करना चाहिए | वहीं, स्कूल के प्रधानाध्यापक श्याम किशोर सिंह ने कहा, "हमारे यहां 246 छात्रों में से सिर्फ 42 के पास एंड्रॉयड फोन है | कई बार हमने देखा की बच्चे फोन खोल नहीं पा रहे हैं इसलिए हमने सोचा कि क्यों न लाउड स्पीकर लगा दिया जाये | उन्होंने बच्चे इस तरह की पढ़ाई को लेकर काफी उत्साहित हैं | छात्र सवाल कैसे पूछते हैं? इसके जवाब में सिंह ने बताया कि ''छात्र फोन के जरिये हमसे सवाल पूछते हैं |''      

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