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27-Nov-2024 9:18:17 am

एकादशी देवी कौन हैं जिनके नाम पर किया जाता है एकादशी व्रत, जानें एकादशी देवी की कथा

एकादशी देवी कौन हैं जिनके नाम पर किया जाता है एकादशी व्रत, जानें एकादशी देवी की कथा

 मुर नामक राक्षस का वध करने गए थे विष्णु जी

सतयुग में मुर नाम के एक दैत्य ने इंद्र समेत सभी देवताओं को परास्त कर दिया। डरे हुए देवता मदद के लिए भगवान शिव के पास गए। शिवजी ने उन्हें विष्णु जी के पास जाने की सलाह दी। देवताओं की प्रार्थना सुनकर क्षीरसागर में विश्राम कर रहे विष्णु जी जाग गए। वे मुर दैत्य का वध करने चन्द्रावतीपुरी गए। वहाँ उन्होंने सुदर्शन चक्र से असंख्य दैत्यों को मार डाला। इसके बाद वे बद्रिका आश्रम की सिंहावती गुफा में विश्राम करने चले गए। यह गुफा 12 योजन लंबी थी।
 
मूर का वध करने के लिए विष्णु जी के अंश से उत्पन्न हुई एक कन्या
मुर को जब पता चला कि उसे मारने के लिए श्री हरि उसके पास आने वाले हैं, तो उसने निद्रा में ही श्री हरि को मारने का प्रयास किया। गहरी निद्रा में सो चुके विष्णु को पता ही नहीं चला कि उन्हें जैसे ही मारने का विचार किया, वैसे ही श्रीहरि विष्णु के शरीर से एक कन्या निकली और उसने मुर दैत्य का वध कर दिया। मूर राक्षस की आवाज सुनकर जब विष्णु जी नींद से जागे, तो उनके सामने एक कन्या खड़ी थी।
 
उत्पन्ना एकादशी से हुई एकादशी व्रत की शुरुआत
भगवान विष्णु ने एक कन्या से उसका परिचय पूछा। कन्या ने बताया कि उसका नाम एकादशी है और वह विष्णु के शरीर से ही उत्पन्न हुई है। उसने यह भी बताया कि उसने मुर नामक राक्षस को विष्णु के आशीर्वाद से मारा है। प्रसन्न होकर विष्णु ने एकादशी को सभी तीर्थों में श्रेष्ठ होने का वरदान दिया। उ एकादशी का व्रत रखने और भगवान विष्णु की पूजा करने से आज के दिन पूजा से मोक्ष और पापों से मुक्ति मिलती है। साथ ही विष्णु जी की पूजा करने से जीवन-मरण के चक्र से छुटकारा मिलता है। अनजाने में किए गए पाप भी नष्ट होते हैं।

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