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03-Jun-2024 12:31:41 pm

मतगणना - जानिए कैसे होती गिनती... कौन गिनता है वोट

मतगणना - जानिए कैसे होती गिनती... कौन गिनता है वोट

 नई दिल्ली: देश में 18वीं लोकसभा के लिए हुए चुनाव के नतीजों का अब सभी का इंतजार है। क्या सत्तारूढ़ नरेंद्र मोदी सरकार को लगातार तीसरी बार सिंहासन मिलेगा या विपक्षी इंडिया गठबंधन कुछ बड़ा उलटफेर कर पाएगी। एग्जिट पोल्स से सत्तापक्ष जहां गदगद है, वहीं, विपक्ष अपनी जीत के दावे पर अभी कायम है। देखना यह है कि 4 जून को जीत की बाजी किसके हाथ लगती है। उससे पहले मतगणना के बारे में भी जान लेते हैं। आखिर मतगणना कैसे होती है, कौन लोग करते हैं और कोई खामी मिलने पर किसके पास शिकायत करने जाया जा सकता है। आइए-समझते हैं काउंटिंग से जुड़े सभी जरूरी सवालों के बारे में।

  काउंटिंग एजेंट कौन होते हैं, क्यों जरूरी हैं
यह प्रत्याशी का प्रतिनिधि होता है। इसका काम बस मतगणना की प्रक्रिया पर दिन भर मतगणना के खत्म होने तक नजर रखना। किसी भी खामी के बारे में वह पार्टी या प्रत्याशी को रिपोर्ट देता है। काउंटिंग एजेंट की वजह से गणना की प्रक्रिया पारदर्शी बनाए रखने में मदद मिलती है।
काउंटिंग एजेंट किसे नहीं बनाया जा सकता
कोई भी काउंटिंग एजेंट को भारत का नागरिक होना चाहिए। उसे 18 साल से कम का नहीं होना चाहिए और उसे मतगणना की प्रक्रिया की समझ होनी चाहिए। मौजूदा सांसद, विधायक, मंत्री, मेयर या नगरपालिका, तालुका, जिला परिषद का चेयरपर्सन को काउंटिंग एजेंट नहीं बनाया जा सकता है। इसी तरह सरकारी कर्मचारी, संस्थाओं के लोग भी काउंटिंग एजेंट नहीं बन सकते हैं।
मतगणना की गिनती कहां होती है
रिटर्निंग ऑफिसर को हर प्रत्याशी को लिखित में मतगणना हॉल की सटीक लोकेशन बतानी होती है। यह जानकारी को मतदान की तिथि तय होने के 7 दिन पहले बतानी होती है। विधानसभा सीट के लिए आमतौर पर सभी वोटों की गिनती एक ही जगह होती है। वहीं, लोकसभा सीट के लिए वोटों की गिनती कई जगहों पर कराई जाती है। आमतौर पर लोकसभा क्षेत्र के सेंटर में ये मतगणना होती है।
मतगणना एजेंट कितने हो सकते हैं
रिटर्निंग ऑफिसर हर प्रत्याशी को काउंटिंग हॉल के लिए टेबल की व्यवस्था करने को कहता है। आमतौर पर जहां वोटों की गिनती हो रही है, वहां पर अधिकतम 15 टेबल होते हैं। 15वां टेबल रिटर्निंग ऑफिसर के लिए होता है। बाकी के 14 टेबलों पर वोट गिने जाते हैं। कोई प्रत्याशी हर टेबल के लिए एक काउंटिंग एजेंट तैनात कर सकता है। कौन किस टेबल पर बैठेगा, यह रिटर्निंग ऑफिसर ही तय करता है।
सबसे पहले किन वोटों की गिनती होती हैं
चुनाव आयोग का निर्देश है कि सबसे पहले पोस्टल बैलेट गिने जाएंगे। ये पोस्टल बैलेट चुनाव में लगे सुरक्षाकर्मी, पोलिंग ऑफिसर्स, पोलिंग एजेंट्स और सरकारी अफसरों और सेना के जवानों और सरकारी के होते हैं। पोस्टल बैलेट की गिनती खत्म होने के 30 मिनट बाद ही ईव्हीएम में दर्ज वोटों की गणना होती है। इनकी गणना रिटर्निंग ऑफिसर (आरओ) या सहायक रिटर्निंग ऑफिसर (एआरओ) की ही देखरेख में होती है। ये रिटर्निंग ऑफिसर आमतौर पर जिलाधिकारी ही होते हैं।
मतगणना प्रक्रिया को पूरी तरह पारदर्शी बनाया जाता है
इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन यानी ईव्हीएम में तीन चीजें होती हैं-बैलेट यूनिट, जिस पर वोटर अपने पसंदीदा प्रत्याशी के लिए बटन दबाता है। कंट्रोल यूनिट,जिसमें वोटर की पसंद का रिकॉर्ड दर्ज होता है। तीसरा, वीवीपीएटी यूनिट होती है, जिसमें वोटर्स की पसंद की पर्ची निकलती है और उस पर दर्शायी जाती है। वोटिंग खत्म होने के बाद ईवीएम को स्ट्रॉन्ग रूम में रखा जाता है।
पोस्टल बैलेट्स के 30 मिनट बाद ईव्हीएम की गिनती
पोस्टल बैलेट के वोटों की गिनती के 30 मिनट बाद ईवीएम की कंट्रोल यूनिट में दर्ज वोटों की गिनती शुरू होती है। मान लीजिए पोलिंग स्टेशन 1 की कंट्रोल यूनिट के मत गिने जाने हैं तो उसे टेबल नंबर 1 पर रखा जाएगा। इसी तरह बाकी की कंट्रोल यूनिट भी रखी जाएंगी। इनकी गिनती के बाद रिजल्ट को आरओ या ओआरओ की अनुमति से हॉल में सभी टेबल के सामने रखे ब्लैकबोर्ड, व्हाइट बोर्ड या टीवी सेट पर दर्शाया जाता है। हर कंट्रोल यूनिट के साथ फॉर्म 17-सी को भी लाया जाना अनिवार्य है, जिसमें संबंधित पोलिंग स्टेशन पर पड़े नंबरों का रिकॉर्ड होता है।
कंट्रोल यूनिट कैसे खोली जाती हैं, समझें पूरी प्रक्रिया
 
 
 
 
 
कंट्रोल यूनिट्स को काउंटिंग हॉल में कड़ी सुरक्षा के बीच बंद डिब्बों में लाया जाता है। हर कंट्रोल यूनिट की एक यूनिक आईडी होती है। काउंटिंग अधिकारी इस यूनिक आईडी का मिलान फॉर्म 17-सी में दर्ज यूनिक आईडी से किया जाता है। इसे भी कंट्रोल यूनिट्स के साथ ही काउंटिंग हॉल में लाया जाता है। वोट दर्ज होने के बाद कंट्रोल यूनिट्स पर सील लगा दी जाती है। इसे मतगणना वाले दिन काउंटिंग अफसरों और काउंटिंग एजेंटों की मौजूदगी में खोला जाता है। अगर, कंट्रोल यूनिट्स का आईडी नंबर फॉर्म 17-सी पर मौजूद आईडी नंबर से मैच नहीं होता है तो काउंटिंग एजेंट्स आपत्ति जता सकता है। आईडी नंबरों के मिलान न होने पर कंट्रोल यूनिट से जुड़ी वीवीपैट स्लिप से वोटों की गणना होगी। सब कुछ ठीक रहा तो कंट्रोल यूनिट पर रिजल्ट बटन दबा दिया जाएगा, जिसके बाद प्रत्याशी के हिसाब से वोटों की पूरी गिनती आ जाएगी।
इलेक्शन रूल्स, 1961 का नियम 56डी क्या कहता है
कंडक्ट ऑफ इलेक्शन रूल्स, 1961 के नियम 56डी के अनुसार, अगर किसी प्रत्याशी ने रिटर्निंग ऑफिसर के समक्ष वीवीपैट पर्चियों की गणना की मंजूरी के लिए आवेदन किया तो रिटर्निंग ऑफिसर इन आधारों पर यह मंजूरी दे सकता है। जैसेकि- वोटिंग स्टेशन पर पड़े वोटों की कुल संख्या जीतने वाले प्रत्याशी और आवेदन करने वाले प्रत्याशी यानी हारने वाले प्रत्याशी के मार्जिन वोटों से कम या ज्यादा हैं। या फिर मतदान के दिन ईवीएम और वीवीपैट में खराबी आने के बाद उसे बदला गया हो। इसके अलावा, वोट डालने के बाद अगर वीवीपैट पर्ची नहीं मिलने की शिकायत की गई है तो भी यह मंजूरी दी जा सकती है।

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