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29-Nov-2023 6:06:28 pm

मोदी सरकार की ऐतिहासिक उपलब्धि! अमित शाह ने शेयर किया वीडियो, जानें पूरा मामला

मोदी सरकार की ऐतिहासिक उपलब्धि! अमित शाह ने शेयर किया वीडियो, जानें पूरा मामला

इंफाल: मणिपुर के यूनाइटेड नेशनल लिबरेशन फ्रंट (यूएनएलएफ) ने नई दिल्ली में एक शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। यह फ्रंट जल्द ही मुख्यधारा में शामिल हो जाएगा। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार को इसकी घोषणा की। उन्होंने बुधवार को कहा कि मणिपुर के सबसे पुराने उग्रवादी समूह यूनाइटेड नेशनल लिबरेशन फ्रंट ने केंद्र के साथ शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। शाह ने एक्स (ट्विटर) पर एक पोस्ट में लिखा, “एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल हुई!!! पूर्वोत्तर में स्थायी शांति स्थापित करने के मोदी सरकार के अथक प्रयासों में एक नया अध्याय जुड़ गया है। यूनाइटेड नेशनल लिबरेशन फ्रंट (यूएनएलएफ) ने आज नई दिल्ली में एक शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए।”


अमित शाह ने एक बाद एक दो ट्वीट किया। उन्होंने आगे लिखा, “मणिपुर का सबसे पुराना घाटी स्थित सशस्त्र समूह यूएनएलएफ हिंसा छोड़कर मुख्यधारा में शामिल होने पर सहमत हो गया है। मैं लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं में उनका स्वागत करता हूं और शांति और प्रगति के पथ पर उनकी यात्रा के लिए शुभकामनाएं देता हूं।”



गृह मंत्रालय (एमएचए) द्वारा कई अन्य चरमपंथी संगठनों के साथ यूएनएलएफ पर प्रतिबंध लगाए जाने के कुछ दिनों बाद यह शांति समझौता हुआ है। ये संगठन मणिपुर में सुरक्षा बलों, पुलिस और नागरिकों पर हमलों और हत्याओं के साथ-साथ भारत की संप्रभुता और अखंडता के लिए हानिकारक गतिविधियों में शामिल रहे हैं।


24 नवंबर, 1964 को एरियाबम समरेंद्र सिंह के नेतृत्व में स्थापित, यूएनएलएफ उत्तर-पूर्वी राज्य मणिपुर में सबसे पुराना मैतेई विद्रोही समूह है। 70 और 80 के दशक में, समूह ने मुख्य रूप से लामबंदी और भर्ती पर ध्यान केंद्रित किया। 1990 में, इसने भारत से मणिपुर की ‘मुक्ति’ के लिए एक सशस्त्र संघर्ष शुरू करने का निर्णय लिया। उसी वर्ष, इसने मणिपुर पीपुल्स आर्मी (एमपीए) नामक एक सशस्त्र विंग का गठन किया।

यूएनएलएफ और इसकी सशस्त्र शाखा, मणिपुर पीपुल्स आर्मी (एमपीए), मणिपुर में कई मैतेई चरमपंथी संगठनों में से एक थे, जिन पर इस महीने की शुरुआत में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने प्रतिबंध लगा दिया था। कई मैतेई चरमपंथी संगठनों को “गैरकानूनी” घोषित करने का निर्णय पूर्वोत्तर राज्य में जारी हिंसा के मद्देनजर लिया गया था। यह घटनाक्रम मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह के उस बयान के कुछ ही दिनों बाद आया है जिसमें उन्होंने कहा था कि उनकी सरकार इंफाल घाटी स्थित एक विद्रोही समूह के साथ बातचीत कर रही है।


मणिपुर में इस साल 3 मई से जातीय हिंसा की घटनाएं देखी जा रही हैं। हिंसा तब भड़की थी जब मैतेई समुदाय की अनुसूचित जनजाति (एसटी) दर्जे की मांग के विरोध में पहाड़ी जिलों में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ आयोजित किया गया था। राज्य में हिंसा भड़कने के बाद से अब तक 180 से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं। मणिपुर की आबादी में मैतेई लोगों की संख्या लगभग 53 प्रतिशत है और वे ज्यादातर इम्फाल घाटी में रहते हैं, जबकि आदिवासी, जिनमें नागा और कुकी शामिल हैं, उनकी आबादी 40 प्रतिशत हैं और मुख्य रूप से पहाड़ी जिलों में रहते हैं।

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