भारतवर्ष के शिक्षण संस्थानों में बढ़ रहे नशा तस्करों से हर कोई परेशान है क्योंकि नशा तस्कर युवाओं के यौवन को खोखला करते नजर आ रहे हैं जो समाज के लिए एक गंभीर चुनौती बन रहे हैं। प्राचीन समय में हमारे शिक्षण संस्थान शिक्षा के मंदिर होते थे, जहां युवा अपने भविष्य की कहानी रचना शुरू करते थे, सपने संजोते थे, गुरुओं से आशीर्वाद लेते थे, ज्ञान व शब्दों को जीवन के यथार्थ में उतारते थे जिसके आधार पर शिक्षण संस्थान ज्ञान केन्द्र हुआ करते थे। लेकिन वर्तमान समय में वास्तविक स्थिति चिंताजनक है क्योंकि जो ज्ञान का केन्द्र होने का दर्जा प्राप्त है, वही आज तेजी से नशा तस्करों के लिए अच्छा बाजार बनता जा रहा है। चाहे वो हिमाचल प्रदेश के शिक्षण संस्थान हों या अन्य प्रदेशों के, स्थिति एक समान ही है। हाल ही में प्रदेश के सबसे बड़े शिक्षण संस्थानों में से एक एनआईटी हमीरपुर में जहां माता-पिता बच्चों की डिग्रियां लेने पहुंचते हैं तो एक पिता अपने मृत पुत्र का शव लेने पहुंचा। सोचिए, उस पिता पर क्या बीती होगी। कितनी हिम्मत होगी उस पिता में। इस घटना ने जहां एक तरफ एक घर का दीपक बुझा दिया तो दूसरी तरफ शिक्षण संस्थानों को नशा बाजार बनाने पर आतुर नशा तस्करों का भी भंडाफोड़ किया है।
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