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31-Jan-2024 7:37:26 pm

इंडो-इजराइल उद्यानिकी प्रोजेक्ट फेल, लाखों पौधे मरे

इंडो-इजराइल उद्यानिकी प्रोजेक्ट फेल, लाखों पौधे मरे

मुरैना। मुरैना में इंडो-इजराइल पद्धति से हाईटेक व वातानुकूलित पाली हाउस बनाकर किसानों को आधुनिक खेती से जोड़ने का प्रोजेक्ट करोड़ो रुपये खर्च करने के बावजूद एक पौधा भी उपलब्ध नहीं करा सका है। इसके अंतर्गत बारहमासी पैदावार देने वाली सब्जी, फल व मसालों के पौधे तैयार होने थे। मुरैना में 2015 में 3.84 करोड़ और फिर 2023 में 9.64 करोड़ रुपये खर्च कर पाली हाउस तैयार कर एक लाख पौधे रोपे थे। छह माह पहले पूर्व केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने इसका शुभारंभ किया था, परंतु एक लाख पौधों में से एक भी पौधा जीवित नहीं बच सका।

 
नूराबाद उद्यानिकी नर्सरी में 500 वर्गमीटर क्षेत्र में पाली हाउस, नेट हाउस बनाए गए हैं, जहां निश्चित तापमान पर सर्दी, गर्मी और बारिश के मौसम में भी बेहतर गुणवत्ता की सब्जी, फल व मसालों के पौधे तैयार किए जाने थे। पहले चरण में जुलाई में टमाटर, मिर्च के एक लाख पौधे रोपे गए, जिन्हें बारह माह अच्छी पैदावार देने के लिए मुरैना के अलावा अंचल के किसानों को दिया जाना था पर दो माह के भीतर ही यह पौधे पाली हाउसों में ही दम तोड़ गए।
 
 
बताया जा रहा कि इन आधुनिक पाली हाउस में आर्द्रता व तापमान सही नहीं बना। 2015 में भी इसी नूराबाद नर्सरी में बनाए गए पाली हाउस में एक भी पौध नहीं पनपा था। वर्तमान हालत यह है, कि अब यह पाली हाउस चिथड़े-चिथड़े हो चुका है। ड्रिप सिस्टम और पौधे तैयार करने वाला प्लेटफार्म भी टूटकर खंडहर हो गया है, जिनमें ऊंची झाड़ियां, घास उग रही हैं।
 
इस मामले में सामने आया है कि प्रोजेक्ट का काम पहले से ब्लैक लिस्टेड कंपनी सील बायोटेक को दे दिया गया, जो अब गारंटी पीरियड होने के बाद भी पाली हाउस की गड़बड़ी सही करने तैयार नहीं। उद्यानिकी विभाग के कई पत्रों के बाद कंपनी ने जवाब दिया है कि दो साल की गारंटी थी, जो काम शुरू करने के दिन से लागू हो गई थी और अब गारंटी पीरिटल खत्म हो गया है। जबकि नियमानुसार नर्सरी विभाग को पाली हाउस हैंडओवर होने के दिन से गारंटी पीरियड शुरू होना चाहिए।
 
भारत-इजराइल कृषि परियोजना के तहत देश में बागवानी के 29 सेंटर आफ एक्सीलेंस स्वीकृत हुए हैं। इनमें से दो मध्यप्रदेश को मिले हैं। सबसे बड़ा प्रोजेक्ट मुरैना और दूसरा छिंदवाड़ा में संतरे की खेती के लिए है। इंडो-इजराइल पद्धति के तहत नियंत्रित वातावरण में फसलों खेती की जानी है। इसमें ग्रीन हाउस, कीट अवरोधी नेट हाउस, प्लास्टिक के लो-हाई टनल एवं ड्रिप एरिगेशन का उपयोग किया जाता है। इसमें जलवायु परिवर्तन का फसल पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता व 12 महीने व अच्छी गुणवत्ता के सब्जी, फल, मसाले देने वाले पौधे तैयार होते हैं। उत्तर प्रदेश, हरियाणा, महाराष्ट्र जैसे राज्यों में प्रोजेक्ट सफलतापूर्वक चल रहा है।

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