हरियाणा: सहमति या असहमति को लोकतंत्र की ताकत बताते हुए लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने आज कहा कि विधायी कार्यों में “सुनियोजित गतिरोध” देश या राज्यों के लिए उचित नहीं है। बिरला ने आज यहां हरियाणा विधानसभा के सदस्यों के लिए शुरू हुए दो दिवसीय अभिविन्यास कार्यक्रम के मौके पर संवाददाताओं से कहा, “मेरा मानना है कि विधानसभाओं के अंदर हो चाहे संसद के अंदर, नियोजित गतिरोध लोकतंत्र के लिए उचित नहीं है।” उन्होंने कहा कि गतिरोध से सदन और विधायी कार्य बाधित होते हैं, साथ ही कीमती समय भी बर्बाद होता है। उन्होंने कहा कि चूंकि नए कानून बनाने की जिम्मेदारी राज्य विधानसभाओं और संसद दोनों की है, इसलिए विधायकों, खासकर नए विधायकों को प्रशिक्षित करना महत्वपूर्ण है, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि उन्हें विधायी प्रक्रियाओं की पूरी समझ है। उन्होंने कहा कि इससे विधानसभाओं में पेश किए जाने वाले विधेयकों पर अधिक जानकारीपूर्ण चर्चा और संवाद की सुविधा मिलेगी, जिसका लाभ अंततः जनता को मिलेगा। उन्होंने कहा कि विधायी कार्य में दक्षता के माध्यम से लोकतंत्र मजबूत होता है। हरियाणा की 15वीं विधानसभा के सदस्यों, जिनमें से 40 पहली बार चुनकर आए हैं, के लिए कार्यक्रम का आयोजन संसदीय लोकतंत्र अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान (प्राइड), लोकसभा सचिवालय द्वारा हरियाणा विधानसभा सचिवालय के सहयोग से किया जा रहा है। इससे पहले, कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए बिरला ने सभी जनता द्वारा चुनी गई संस्थाओं को लघु विधानसभाएं बताया, साथ ही ग्राम पंचायतों, ग्राम सभाओं, नगर पालिकाओं, जिला परिषदों और पंचायत समितियों जैसी संस्थाओं में जन कल्याण पर व्यापक चर्चा के महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि विधायी कार्यों के लिए सकारात्मक सुझाव भी ग्राम सभाओं के माध्यम से लिए जाने चाहिए। चर्चा जितनी अधिक गंभीर और सहभागितापूर्ण होगी, कार्यपालिका को नियंत्रित करने, शासन को बेहतर बनाने और भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने में उतनी ही अधिक मदद मिलेगी। बिरला ने कहा कि राज्य विधानसभाओं को नीतियों और योजनाओं की व्यापक समीक्षा करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि राज्य के मुद्दों का गहन अध्ययन होना चाहिए।
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