10-Oct-2024
4:08:17 pm
नहीं रहे रतन टाटा, 86 साल की उम्र में मुंबई में निधन, शोक में देश!
देशभर में शोक की लहर दौड़ गई है. भारत के दिग्गज उद्योगपति रतन टाटा का निधन बुधवार की शाम को हो गया. उन्होंने मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में अंतिम सांस ली. रतन टाटा 86 साल के थे. पिछले कुछ दिनों से उनकी तबीयत खराब थी.
दरअसल, बुधवार की शाम में उनकी तबीयत ज्यादा बिगड़ने की खबर आई थी. जिसके कुछ घंटे बाद ही उन्होंने दुनिया को अलविदा कह दिया. रतन टाटा का जाना देश के लिए एक बहुत बड़ी क्षति है. हालांकि उन्हें देश कभी भूल नहीं पाएगा. उन्होंने देश के लिए एक से बढ़कर एक काम किए.
टाटा ग्रुप को ऊंचाईयों पर पहुंचाने में रतन टाटा की सबसे बड़ी भूमिका रही. उन्होंने देश और आम लोगों के लिए कई ऐसे काम किए, जिसके लिए उन्हें हमेशा याद किया जाता रहेगा. रतन टाटा एक दरियादिली इंसान थे और मुसीबत में देश के लिए हमेशा तैयार रहते थे.
अंतिम दर्शन के लिए पोर्टेबल कोल्ड स्टोरेज की व्यवस्था
रतन टाटा के पार्थिव शरीर के लिए पोर्टेबल कोल्ड स्टोरेज शवालय की व्यवस्था की गई है. आज शाम 4 बजे तक नेशनल सेंटर फॉर परफॉर्मिंग आर्ट्स में उनके पार्थिव शरीर को लोगों के अंतिम दर्शन के लिए लाया जाएगा. आज दिन में कई उद्योगपति, व्यवसायी, एक्टर और राजनेता उनके घर पर जा सकते हैं.
पार्थिव शरीर को वर्ली श्मशान घाट ले जाया जाएगा
रतन टाटा के पार्थिव शरीर को कोलाबा स्थित उनके घर ले जाया गया है और परिवार के सदस्य भी अस्पताल से चले गए हैं. विशेष सीपी देवेन भारती व्यक्तिगत रूप से परिवार के सदस्यों के साथ काफिले और एम्बुलेंस के साथ गए हैं. उनके पार्थिव शरीर को वर्ली श्मशान घाट ले जाया जाएगा. ये वही जगह है जहां साइरस मिस्त्री का अंतिम संस्कार किया गया था.
दो दिन पहले ही कहा था- मैं बिल्कुल ठीक हूं
इससे पहले सोमवार को भी रतन टाटा की तबीयत बिगड़ने की खबर आई थी, जिसके कुछ ही घंटों बाद खुद रतन टाटा के एक्स (ट्विटर) हैंडल से एक पोस्ट शेयर किया गया था. इस पोस्ट में लिखा था कि मेरे लिए चिंता करने के लिए सभी का धन्यवाद! मैं बिल्कुल ठीक हूं. चिंता की कोई बात नहीं, मैं बढ़ती उम्र से जुड़ी बीमारियों की रूटीन जांच के लिए अस्पताल आया हूं. लेकिन देश को ये दर्द रहेगा कि वो इस बार अस्पताल से लौट नहीं पाए, और हमेशा के लिए अंतिम यात्रा पर निकल पड़े.
28 दिसंबर को हुआ था जन्म
अरबपति कारोबारी और बेहद दरियादिल इंसान रतन टाटा 86 साल के थे, 28 दिसंबर 1937 को उनका जन्म हुआ था. वे साल 1991 से 2012 तक टाटा ग्रुप के चेयरमैन रहे और इस दौरान उन्होंने बिजनेस सेक्टर में कई कीर्तिमान स्थापित करते हुए देश के सबसे पुराने कारोबारी घरानों में से एक टाटा समूह को बुलंदियों तक पहुंचाया.
रतन टाटा की शख्सियत को देखें, तो वो सिर्फ एक बिजनेसमैन ही नहीं, बल्कि एक सादगी से भरे नेक दिल इंसान भी थे. वो देश के लिए हमेशा आदर्श और प्रेरणास्रोत रहेंगे. रतन टाटा अपने समूह से जुड़े छोटे से छोटे कर्मचारियों को भी अपना परिवार मानते और उनका ख्याल रखने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ते, इसके कई उदाहरण मौजूद हैं.
1991 में बने थे चेयरमैन
गौरतलब है कि रतन टाटा को 21 साल की उम्र में साल 1991 में ऑटो से लेकर स्टील तक के कारोबार से जुड़े समूह, टाटा समूह का चेयरमैन बनाया गया था. चेयरमैन बनने के बाद रतन टाटा ने टाटा ग्रुप को एक नई ऊंचाई पर पहुंचाया. उन्होंने 2012 तक इस समूह का नेतृत्व किया, जिसकी स्थापना उनके परदादा ने एक सदी पहले की थी. 1996 में टाटा ने टेलीकॉम कंपनी टाटा टेलीसर्विसेज की स्थापना की और 2004 में टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज को मार्केट में लिस्ट कराया था.
कमान संभालने से पहले किया था काम
साल 1868 में शुरू हुए कारोबारी घराने की कमान अपने हाथों में लेने से पहले रतन टाटा ने 70 के दशक में टाटा स्टील, जमशेदपुर में काम किया. जब कारोबार की सभी बारीकियां समझ में आ गई फिर उन्होंने ग्रुप में अपनी दमदार एंट्री की और अपनी मेहनत और काबिलियत की दम पर घरेलू कारोबार को आसमान की बुलंदियों पर पहुंचाने का काम किया. रतन टाटा ने 1991 में पूरे ग्रुप की कमान अपने हाथों में ली थी.
प्रेरणास्रोत थे रतन टाटा
रतन टाटा की शख्सियत की बात करें तो वो सिर्फ एक बिजनेसमैन ही नहीं, बल्कि एक सादगी से भरे नेक और दरियादिल इंसान, लोगों के लिए आदर्श और प्रेरणास्रोत भी थे. वे अपने समूह से जुड़े छोटे से छोटे कर्मचारी को भी अपना परिवार मानते थे और उनका ख्याल रखने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ते थे, इसके कई उदाहरण सामने हैं. इसके अलावा उन्हें जानवरों से, खासतौर पर स्ट्रे डॉग्स से खासा काफी लगाव था.
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