बड़ी खबर

देश-विदेश

23-Mar-2025 6:16:53 pm

मेडिकल कालेज में शुरू हुई पुरानी पर्चियों की रि-विजटिंग प्रक्रिया

मेडिकल कालेज में शुरू हुई पुरानी पर्चियों की रि-विजटिंग प्रक्रिया

हमीरपुर। डाक्टर राधाकृष्णन मेडिकल कालेज एवं अस्पताल हमीरपुर में मरीजों को हर बार पर्ची बनाने के झंझट से निजात मिल जाएगी। इसके लिए यहां पर रि-विजिट काउंटर स्थापित किया गया है। सीएआर (सेंटरलाइज्ड रजिस्ट्रेशन नंबर) मिलने के बाद पुरानी पर्ची से ही उपचार मिल जाएगा। यदि किसी मरीज का इलाज चल रहा है तो उसे हर बार चिकित्सक को दिखाने से पहले पर्ची बनवाने की जरूरत नहीं है। उसे सिर्फ अपनी पर्ची का रि-विजिट करवाना होगा। यदि पर्ची पर दवाईयां अंकित करने की जगह है तो उसी पर्ची को पंजीकृत कर दिया जाएगा और चिकित्सक उसी पर उपचार सुनिश्चित करेगा। यदि पर्ची दवाईयां अंकित करने से भर गई है तो रि-विजिटिंग काउंटर पर ही पर्ची भी बन जाएगी, हालांकि सेंटरलाइज्ड रजिस्ट्रेशन नंबर एक ही रहेगा। इसी से पर्चियां बनती रहेंगी, लेकिन इसके लिए पुरानी पर्ची को संभालकर रखना जरूरी है। यदि मरीज की पर्ची गुम हो जाती है तो फिर आभा आईडी से सीआर नंबर का पता किया जा सकता है। डिजिटल तरीके से स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने की दिशा में यह अगला कदम उठाया गया है। निसंदेह अभी मुकाम तक पहुंचने के लिए बहुत कुछ किया जाना बाकि है, लेकिन धीरे-धीरे सुधार के पग बढ़ाए जा रहे हैं। बता दें कि मेडिकल कालेज एवं अस्पताल हमीरपुर में रोजाना 1500 से अधिक पर्चियांं बनती हैं। सुबह से लेकर दोपहर बाद तक पर्ची काउंटर पर मरीजों की भारी भीड़ जमा रहती है। बेशक आभा आईडी से पर्ची बनाने की प्रक्रिया को अपनाया जा रहा है लेकिन फिर भी काफी भीड़ मरीजों की रहती है। आभा आईडी का सही संचालन मरीजों को सिखाने के बाद अब नया कदम उठाया गया है। एक बार पर्ची बनाने वाले मरीज को अगली बार डाक्टर को दिखाने से पहले नई पर्ची बनाने की जरूरत नहीं है। मरीज को रि-विजिट काउंटर पर जाकर अपनी पुरानी पर्ची का पंजीकरण करवाना होगा। यहां से पंजीकृत होने के बाद मरीज सीधा चिकित्सक को दिखा सकता है। यदि पर्ची पर दवाईयां अंकित करने की जगह नहीं है तो यहां पर नई पर्ची भी बन जाएगी, लेकिन सीआर नंबर एक ही रहेगा। बताया जाता है कि सीआर नंबर से मरीज को मिले उपचार का सारा रिकार्ड ऑनलाइन रहेगा। एक नंबर पर ही उपचार की हिस्ट्री उपलब्ध रहेगी जिसे चिकित्सक आसानी से देख सकता है। पूर्व में देखा गया है कि कई बार मरीज पुरानी पर्चियां गंवा देते थे, ऐसे में इलाज के लिए पहुंचने के दौरान चिकित्सक को पता नहीं चल पाता था कि मरीज को पहले किस तरह का उपचार दिया गया है। इन झंझटो से निजात पाने के लिए उपचार को सुलभ बनाया जा रहा है। इसी कड़ी में आभा आईडी से उपचार सुनिश्चित किया जा रहा है तथा अब सीआर नंबर से स्वास्थ्य सेवा को सुदृढ़ किया जा रहा है। सूत्रों की माने तो अभी बहुत कुछ किया जाना बाकी है। जब सभी मरीजों के सीआर नंबर बन जाएंगे तो फिर आगामी कदम उठाया जाएगा। अभी रि-विजिटिंग की प्रक्रिया को अपनाया जा रहा है। इसके लिए 110 नंबर काउंट बनाया गया है तथा यहां पर कर्मचारी की तैनाती की गई है। कर्मचारी यहां पर पुरानी पर्चियों का ही रिकार्ड देख रहा है।
 


Leave Comments

Top