नई दिल्ली: भारत-पाकिस्तान के बीच हुए युद्धविराम पर अपनी भूमिका को लेकर अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर चौंकाने वाला दावा किया है. ट्रंप ने कहा कि उन्होंने दोनों देशों के बीच तनाव को शांत करने में मदद की थी, लेकिन साथ ही यह भी जोड़ा कि वह सीधे तौर पर यह नहीं कहना चाहते कि उन्होंने मध्यस्थता की. एक कार्यक्रम के दौरान डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि मैं ये नहीं कह रहा कि मैंने मध्यस्थता की, लेकिन मैंने उस समस्या को हल कराने में मदद की, जो भारत और पाकिस्तान के बीच पिछले सप्ताह और भी ज़्यादा खतरनाक हो रही थी. तुर्की को अमेरिका की सौगात ऐसे समय में जब तुर्की ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान की सैन्य मदद को लेकर बेनकाब हो चुका है, तब अमेरिका तुर्की को मध्यम दूरी की हवा से हवा में मार करने वाली अमेरिकी मिसाइल बेच रहा है. दरअसल, अमेरिकी विदेश विभाग ने तुर्की को 225 मिलियन डॉलर की हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइल AIM-120C-8 AMRAAM की बिक्री को मंजूरी दे दी है. ये दुनिया की सबसे लोकप्रिय बियोंड विजुअल रेंज मिसाइल है जो सभी मौसमों और रात में भी हमला करने में सक्षम है. पिछली पीढ़ी की स्पैरो मिसाइलों की तुलना में इसमें ये फायदा है कि इसे एक बार फायर करने के बाद ये अपने लक्ष्य का पीछा करके उसको मार गिराती है. अमेरिका हथियारों का सौदागर रहा है लेकिन ऐसे समय में जब तुर्की युद्ध में भारत के खिलाफ अपने ड्रोन और ऑपरेटर भेज रहा है, तब इस डील को संदेह की नजर से देखा जा रहा है. बता दें कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के रवैये की देश में तीखी आलोचना हो रही है. खास तौर पर उन्होंने जिस तरह सीजफायर का श्रेय लेने की कोशिश की. हालांकि ट्रंप के दावे को भारत के विदेश मंत्रालय ने खारिज कर दिया था. विदेश मंत्रालय ने साफ किया कि भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्षविराम का समझौता सीधे DGMO स्तर पर हुआ और वो भी पाकिस्तान की ओर से अनुरोध पर. कारण, भारतीय वायुसेना की कार्रवाई बेहद प्रभावी थी. ट्रंप की व्यापार पर धमकी का MEA ने दिया दो टूक जवाब परमाणु युद्ध टलने की बात को लेकर भारत ने दो टूक कहा कि हमने सिर्फ पारंपरिक सैन्य विकल्प अपनाए, परमाणु विकल्प की बात ही नहीं थी. ट्रंप की व्यापार पर धमकी पर MEA का जवाब साफ है कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान अमेरिका से व्यापार को लेकर कोई चर्चा ही नहीं हुई. कश्मीर पर अमेरिकी मध्यस्थता के ऑफर पर भारत ने दोहराया कि बातचीत सिर्फ द्विपक्षीय होगी और मुद्दा होगा सिर्फ PoK की वापसी. भारत-पाक को एक ही फ्रेम में रखने की जहां तक बात है तो सरकार ने साफ किया कोई 'हाइफनेशन' नहीं. पूरी दुनिया जानती है कि आतंकवाद के मुद्दे पर भारत कहां खड़ा है. तटस्थ जगह पर बातचीत की खबरें भी बेबुनियाद हैं. MEA ने कहा कि ऐसी कोई योजना नहीं है. प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने साफ किया कि भारत की नीति स्पष्ट है: सुरक्षा, संप्रभुता और सच्चाई से कोई समझौता नहीं. जिसे अमेरिका ने घोषित किया आतंकी, उसे ट्रंप ने लगाया लिया गले एक तरफ ट्रंप भारत-पाकिस्तान के बीच सीजफायर में अपने दखल का झूठ बेच रहे हैं, दूसरी तरफ तुर्की से हथियारों का सौदा कर रहे हैं. कल तो ट्रंप ने उस आतंकी से भी हाथ मिलाया जिस पर अमेरिका ने करोड़ों का इनाम रखा था. उसे आतंकवादी बताकर जेल भेजा था. लेकिन अब डोनाल्ड ट्रंप ने आतंक पर बड़ा यूटर्न लेते हुए इस आतंकवादी को गले लगा लिया है. जानकारों का कहना है कि अमेरिका का ये यूटर्न भारत के लिए बहुत बड़ा खतरा पैदा कर सकता है. गौरतलब है कि आत्ममुग्धता से पीड़ित ट्रंप के बारे में कहा जाता है कि वो वाहवाही लूटने का एक भी मौका नहीं चूकते. श्रेय लेना ट्रंप की फितरत है. भले ही वो काम उन्होंने किया हो या नहीं. सारी दुनिया जानती है कि पाकिस्तान ने घुटने टेके. समझौते की तरफ हाथ बढाया. भारत ने बडप्पन दिखाया और पाकिस्तान के सिर से बड़ी तबाही टल गई. लेकिन मान ना मान मैं मेहमान की तर्ज पर ट्रंप सरपंच बनकर सामने आ गए. डोनाल्ड ट्रंप ने बार-बार खुद को हिंदुस्तान का सच्चा दोस्त बताया लेकिन उनकी हरकत किसी दुश्मन जैसी लग रही है. कारण, डोनाल्ड ट्रंप मध्य पूर्व के दौरे पर हैं, जहां उन्होंने सीरिया के राष्ट्रपति अहमद अल-शरा उर्फ अबू मोहम्मद अल जुलानी से मुलाकात की. बड़ी बात ये है कि साल 2017 में अमेरिका जुलानी के ऊपर 1 करोड़ का इनाम घोषित कर चुका है. साल 2006 में अमेरिकी सेना ने उसे गिरफ्तार भी किया, वो 5 साल तक हिरासत में रहा. इसकी वजह जुलानी के अलकायदा से रिश्ते हैं, जिसमें वो 21 साल की उम्र में शामिल हो गया था.
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