08-Mar-2024
5:01:50 pm
सरकारी योजनाओं से जागरूक नहीं ग्रामीण
उदयपुर, राजस्थान राजस्थान का एतिहासिक उदयपुर शहर झीलों की नगरी के नाम से भी प्रसिद्ध है. जहां सालों भर देश और दुनिया के पर्यटकों का जमावड़ा लगा रहता है. यहां कि सुंदरता की मिसाल इसी से लगाई जा सकती है कि दुनिया के बड़े बड़े उद्योगपति और फ़िल्मी सितारे वेडिंग स्थल के रूप में इसी शहर का चुनाव करते हैं. इसलिए इस शहर की भव्यता और सुंदरता देखते ही बनती है. लेकिन इसी शहर से मात्र चार किमी की दूरी पर बसा है मनोहर पुरा गांव. अनुसूचित जाति बहुल इस गांव की आबादी लगभग एक हज़ार है और साक्षरता की दर करीब पचास प्रतिशत है. शहर से करीब होने के बावजूद इस गांव की अधिकतर आबादी विभिन्न सरकारी योजनाओं से वंचित है.
वर्तमान में राजस्थान सरकार द्वारा राज्य को मॉडल्स्टेट बनाने के प्रयास किये जा रहे हैं. जिसके अंतर्गत सरकार द्वारा कई जनकल्याणकारी योजनाएं शुरू की गई हैं. इसके अतिरिक्त केंद्र द्वारा संचालित योजनाओं को भी धरातल पर शत प्रतिशत लागू करना है. इन सब का अंतिम लक्ष्य राजस्थान की जनता को सामाजिक सुरक्षा प्रदान करना है. ऐसे में सरकार प्रधानमंत्री आवास योजना, प्रधानमंत्री बीमा सुरक्षा योजना, लकड़ी और धुएं वाले चूल्हे से महिलाओं को मुक्ति दिलाने के लिए उज्ज्वला योजना तथा शिक्षा, कृषि और चिकित्सा जैसे सुरक्षा की कई योजनाओं को धरातल पर लागू करने के लिए प्रयासरत है. परंतु इसके बावजूद इनमें से कई ऐसी योजनाएं हैं जिसका लाभ मनोहर पुरा गांव की जनता को नहीं मिल पा रहा है.
इस संबंध में गाँव की एक बुजुर्ग महिला नंदू बाई बताती हैं कि वह पिछले 40 वर्षों से इसी गाँव में रहती आई हैं. पिछले वर्ष उनके पति का स्वर्गवास हो गया. वह एक वर्ष से विधवा पेंशन के लिए दौड़ धूप कर रही हैं. परंतु जागरूकता के अभाव में वह विभाग से अपनी पेंशन शुरू करवाने में असफल रही हैं. नंदू बाई बताती हैं कि इस सिलसिले में वह कई बार ई-मित्र से भी मिल चुकी हैं, लेकिन वह भी उनके आवेदन को गंभीरता से नहीं लेता है और उसे अप्लाई करने में रुचि नहीं दिखाता है. हालांकि नंदू बाई बताती हैं कि यह काम प्रशासन का है कि वह उन जैसे बुजुर्गों के पेंशन की व्यवस्था करे, लेकिन उनकी कहीं कोई सुनवाई नहीं हो रही है. इतना ही नहीं, मनरेगा गारंटी योजना से भी ग्रामीण जागरूक नहीं हैं. कई ऐसे ग्रामीण हैं जिनके पास जॉब कार्ड तो बना हुआ है, लेकिन आज तक उन्हें मनरेगा से कभी काम नहीं मिला है.
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