नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति जस्टिस बीआर गवई ने कुछ हाईकोर्ट जजों के न्यायिक आचरण की कड़ी आलोचना करते हुए को उन्हें फटकार लगाई है। इन में सर्वोच्च न्यायालय में पदोन्नति के लिए प्रचार करना और अपने कर्तव्यों में समय की पाबंदी का पालन न करना शामिल है। 29 जून को कोलकाता में न्यायिक अकादमी में बोलते हुए न्यायमूर्ति गवई ने जजों द्वारा समय पर न्यायालय में न बैठने, महीनों तक फैसला सुरक्षित रखने और वकीलों के साथ दुर्व्यवहार करने के उदाहरण भी दिए। उन्होंने कहा, "हाईकोर्ट में कुछ जज समय पर नहीं बैठते हैं। यह जानना चौंकाने वाला है कि कुछ न्यायाधीश, न्यायालय का समय सुबह 10.30 बजे होने के बावजूद सुबह 11.30 बजे बैठते हैं और दोपहर 12.30 बजे उठ जाते हैं, जबकि कोर्ट का समय दोपहर 1.30 बजे तक है। यह जानना और भी चौंकाने वाला है कि कुछ वकील सेकेंड हाफ में बैठते भी नहीं हैं।" जस्टिस गवई ने कहा, "कुछ जज सर्वोच्च न्यायालय में पदोन्नति के लिए अपनी उम्मीदवारी का प्रचार करने की हद तक चले जाते हैं। वे यह साबित करने की कोशिश करते हैं कि वे अपने न्यायालय के अन्य वरिष्ठ जजों की तुलना में सर्वोच्च न्यायालय में पदोन्नति के लिए अधिक उपयुक्त कैसे हैं।" उन्होंने कहा कि इस तरह का व्यवहार न्यायिक अनुशासन के सिद्धांत को कमजोर करता है और संस्था की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाता है। न्यायमूर्ति गवई मई 2025 में भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) बनने की कतार में हैं। उन्होंने बताया कि कॉलेजियम (न्यायाधीशों का चयन पैनल) एक डेटाबेस पर काम करता है जिसमें उन सभी जजों की जानकारी होती है जो प्रमोशन के लिए चुने जा सकते हैं। न्यायमूर्ति गवई ने जोर देकर कहा कि फैसलों को लंबे समय तक सुरक्षित रखने से "न्यायपालिका में जनता का विश्वास कम होता है"। उन्होंने कहा कि एक आम आदमी के लिए अंतिम उम्मीद न्यायपालिका है। उन्होंने कहा, "यह हमारा कर्तव्य है कि हम इस नागरिक के विश्वास को बढ़ाएँ और यह सुनिश्चित करें कि हम इस तरह से कार्य करें जिससे न केवल उसका विश्वास बढ़े बल्कि इस संस्थान की गरिमा भी बढ़े जिसके लिए हम सब कर्जदार हैं।" न्यायमूर्ति गवई ने भाषण में एक और महत्वपूर्ण संवैधानिक नैतिकता पर जोर दिया। उन्होंने चर्चा की कि कैसे जजों को सामाजिक या राजनीतिक नैतिकता पर संवैधानिक मूल्यों को बनाए रखना चाहिए। न्यायमूर्ति गवई ने जुडिशियल ओवररीच के मुद्दे को भी संबोधित किया। न्यायमूर्ति केजी बालाकृष्णन के बाद न्यायमूर्ति गवई सीजेआई बनने वाले दूसरे दलित होंगे। 3 मई, 2025 को न्यायमूर्ति संजीव खन्ना के सेवानिवृत्त होने के बाद वे 23 नवंबर, 2025 तक इस पद पर बने रहेंगे।
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