दुर्ग। दुर्ग ग्रामीण विधानसभा क्षेत्र के लोग मनमाने तरीके से हो रहे अवैध मुरुम उत्खनन को लेकर परेशान हैं। ग्रामीणों का आरोप है कि यह कार्य बड़े भाजपा नेता के शह पर हो रहा है। दुर्ग ग्रामीण विधायक और खनिज विभाग शिकायत के बाद भी इस पर ध्यान नहीं दे रहे। ग्रामीणों का कहना है कि अब वो इसके विरोध में बड़ा आंदोलन करेंगे। आपको बता दें कि केंद्र सरकार की सबसे बड़ी रोड परियोजना भारतमाला दुर्ग जिले के टेडेसरा से होकर गुजर रही है। इसके तहत यहां सिक्स लेन बनाया जा रहा है। इस सिक्स लेन के लिए काफी बड़ी मात्रा में फ्लाई ऐश और मुरुम की डिमांड है। इसके चलते यहां मुरुम सप्लाई करने के लिए खनिज माफिया सक्रिय हो गए हैं। ये लोग जहां भी नजदीक के गांव में मुरुम पाते हैं उसको चेन माउंटेन लगाकर खोद दे रहे हैं। सबसे बुरा हाल बिरेझर गांव का है। यहां बिना खनिज विभाग की अनुमति के रात दिन चेन माउंटेन मशीन लगाकर मुरुम खोदी जा रही है। दिन में 100 से 150 हाइवा मुरुम का यहां से उत्खनन करके भारत माला परियोजना में भेजा जा रहा है। जब ग्रामीणों की शिकायत के बाद भी इस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई तो बड़ी संख्या में बिरेझर गांव के लोग दुर्ग कलेक्टोरेट पहुंच गए। उन्होंने खनिज विभाग के सामने बैठकर धरना दे दिया। काफी देर बाद उन्हें पता चला कि खनिज अधिकारी दीपक मिश्रा चुनाव कार्य में लगे हैं और ऑफिस आने वाले नहीं है। इसके बाद वो लोग वहां से गांव लौट गए। मुरुम माफिया इतने बेखौफ हैं कि जिन हाइवा को उन्होंने मुरुम सप्लाई में लगाया है उसके कांच में बाकायदा शासकीय कार्य हेतु का स्टीकर चिपका दिया है। जबिक भारत माला परियोजना का निर्माण एक एंजेसी द्वारा किया जा रहा है। वहां किसी भी चीज के सप्लाई के लिए वाहन में शासकीय कार्य का स्टीकर लगाना गैर कानूनी है। ग्रामीण तामेश्वर साहू और यशवंत साहू ने बताया कि यहां नीले और पीले रंग की दो चेन माउंटेन मशीन पिछले 10 दिनों से लगातार मुरुम का उत्खनन कर रही हैं। ये मशीन मुरुम खोदकर सीधे हाइवा में लोड करती है और हाइवा उस मुरुम को भारतमाला की सिक्सलेन रोड में डंप करके आ रहा है। इस कार्य में 8-10 हाइवा मुरुण ढुलाई के लिए लगाए गए हैं। इसमें अधिकतर हाइवा गौरी टेडर्स के हैं। इस बारे में दुर्ग ग्रामीण के विधायक ललित चंद्राकर का कहना है कि अवैध मुरुम उत्खनन में किसी बीजेपी नेता का शह नहीं है। अगर उनके क्षेत्र में अवैध मुरुम की खुदाई हो रही है तो वो खनिज विभाग से बात करके उस पर कार्रवाई करवाएंगे, चाहे वो कोई भी हो। रही बात ग्रामीणों के विरोध की तो ना वो गलत कर रहे हैं और ना उन्हें विरोध प्रदर्शन की चिंता है।
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