छत्तीसगढ़ में स्कूलों के युक्तियुक्तकरण की प्रक्रिया तेज हो गई है। जाहिर है, स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा युक्तियुक्तकरण के लिए चिन्हित किए गए 4077 स्कूलों को 16 सितंबर तक मर्ज करने का आदेश दिया था। इसके लिए जिला स्तर पर कलेक्टर और तहसील स्तर पर एसडीएम की अध्यक्षता में कमेटी बनाई गई है। 16 सितंबर को इसका आदेश भी जारी कर दिया जाएगा। 4 अक्टूबर को शिक्षकों के युक्तियुक्तकरण का आदेश भी दे दिया जाएगा। इस प्रॉसेज को और तेज करते हुए डीपीआई दिव्या मिश्रा ने छत्तीसगढ़ के सभी डीईओ को लेटर लिख 4077 स्कूलों की चल-अचल संपत्ति के साथ ही अभिलेखों के हस्तांतरण के संबंध में महत्वपूर्ण दिशा-निर्देश जारी की हैं।
बता दें कि छत्तीसगढ़ सरकार ने शिक्षकों की कमी को दूर करने के लिए युक्तियुक्तकरण (एक स्कूल से दूसरे स्कूल स्थानांतरण) का फैसला लिया है। जिन स्कूलों में कम बच्चे हैं ऐसे स्कूलों को बंद करने के बाद वहां के शिक्षकों को दूसरी जगह ट्रांसफर कर दिया जाएगा।
काउंसलिंग के जरिए होगा ट्रांसफर: स्कूलों और शिक्षकों का युक्तियुक्तकरण के लिए स्कूल और शिक्षा विभाग युद्ध स्तर पर कार्य कर रहा है। जिला स्तरीय और संभाग स्तरीय बैठक की जा चुकी हैं। बैठकों में स्कूल शिक्षा सचिव सिध्दार्थ कोमल सिंह परदेसी और डीपीआई दिव्या मिश्रा खुद मौजूद रहीं। दोनों अफसरों ने युक्तियुक्तकरण के काम में लगी टीम को जरुरी दिशा निर्देश भी जारी किए हैं। स्कूलों और शिक्षकों का युक्तियुक्तकरण के लिए तहसील जिला लेवल पर एसडीएम और कलेक्टर की अध्यक्षता में टीम बनाई गई है।
सीएम ने दिए हैं निर्दश: मुख्यमंत्री ने भी अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि किसी भी हाल में अक्टूबर के पहले हफ्ते तक स्कूलों और शिक्षकों के युक्तियुक्तकरण की प्रक्रिया पूरी कर ली जाए। दरअसल कई स्कूलों में शिक्षकों की कमी है तो कई स्कूलों में जरुरत से ज्यादा शिक्षक हैं। ऐसे में इस प्रक्रिया से शिक्षकों की कमी को पूरा करने की कवायद में सरकार जुटी हुई है। बीते दिनों विधानसभा में भी शिक्षकों की कमी का मुद्दा उठ चुका है, सरकार चाहती है कि समय रहते इस समस्या का समाधान निकाल लिया जाए।
वही छत्तीसगढ़ शिक्षक संघर्ष मोर्चा के पदाधिकारियों ने बताया कि स्कूल शिक्षा विभाग वर्तमान में प्रक्रियाधीन युक्तियुक्तकरण के लिए स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा जारी 02 अगस्त को जारी युक्तियुक्तकरण निर्देश शिक्षा की गुणवत्ता, छात्रहित, शिक्षक व पालक हितों के प्रतिकूल है । युक्तियुक्तकरण संशोधन तथा विसंगति पूर्ण आनलाईन अवकाश में सुधार व शिक्षक एल बी संवर्ग के मुख्य मांगो के सम्बंधित ज्ञापन में प्राचार्य, व्याख्याता, शिक्षक, प्रधानपाठक (प्राथमिक/पूर्व माध्यमिक) के पदों पर पहले पदोन्नति करने, 2008 के सेटअप में पूर्व माध्यमिक शाला में जिसमें न्यूनतम छात्र संख्या पर एक प्रधान पाठक एवं चार शिक्षक पदस्थ करने का नियम बनाया गया था, और इसी के आधार पर भर्ती व पदोन्नति विभाग द्वारा की गई है, एक पद घटाने से एक शिक्षक तो स्वमेव अतिशेष हो जाएंगे यह नियम व्यवहारिक नहीं है, तथा राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का उलंघन है।
छत्तीसगढ़ सरकार ने प्रदेश में शिक्षकों के रिक्त पदों पर समायोजन की दृष्टि से युक्तियुक्तिकरण करने जा रही है जिसपर कार्यवाही करने मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने केबिनेट में प्रस्ताव पारित करवाया है इस प्रक्रिया पर किसी प्रकार न्यायायल का अवरोध ना हों इसलियॆ छत्तीसगढ़ सरकार ने हाईकोर्ट में केवियेट दायर किया है ताकि कोई पिटीशन दाखिल करें तो पहले सरकार का पक्ष सुना जाए।
चेतावनी सूचना
छत्तीसगढ़ शासन ने दिनांक 09/07/2024 को आयोजित कैबिनेट में ऐसे विद्यालयों एवं शिक्षकों का युक्तिकरण करने का निर्णय लिया है, जहां स्वीकृत पद से अधिक शिक्षक पदस्थ हैं, ताकि पदस्थापना सुनिश्चित की जा सके। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 और शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009 के अनुसार स्कूल में प्रवेशित छात्रों/बच्चों के अनुपात में शिक्षकों को छात्रों के व्यापक हित के लिए उपयुक्त माना जाएगा और ऐसे स्कूल में शिक्षकों की पोस्टिंग सुनिश्चित की जाएगी जहां या तो एकल हो शिक्षक या कोई शिक्षक पदस्थ नहीं है और इस तरह के युक्तिकरण के लिए, स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा दिनांक 02/08/2024 को छत्तीसगढ़ राज्य के सभी जिला कलेक्टरों और सभी जिला शिक्षा अधिकारियों को संबोधित करते हुए एक व्यापक दिशानिर्देश तैयार किए गए हैं। युक्तिकरण से बाहर. ऐसी आशंका है कि अंतरिम राहत देने के लिए आवेदन के साथ एक रिट याचिका उपरोक्त निर्णय और राज्य सरकार द्वारा जारी दिनांक 02/08/2024 के युक्तिकरण के दिशानिर्देशों को चुनौती देते हुए दायर की जा सकती है और उक्त निर्णय के खिलाफ अंतरिम आदेश के लिए प्रार्थना की जा सकती है और दिशानिर्देश. ऐसी याचिका दायर करने की स्थिति में, न्याय के हित में यह अपरिहार्य होगा कि कैविएटर/राज्य सरकार को एन के समक्ष सुनवाई का अवसर दिया जाए।
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