रायपुर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने पुलिस लाईन हेलीपैड पर पत्रकारों से चर्चा करते हुये कहा कि कल सरगुजा में भाजपा के प्रभारी ओम माथुर ने ईडी की कार्यवाही पर कहा "अभी चुनाव आते तक देखिये क्या-क्या होता है"। भाजपा प्रभारी का यह बयान यह साबित करने के लिये पर्याप्त है कि भाजपा ईडी के बलबूते चुनाव लड़ेगी? ईडी की कार्यवाही चुनाव को देखकर हो रही है। एक विभाग में गड़बड़ी नहीं पकड़ पाते दूसरे में लग जाते है। कोल, आबकारी, माईनिंग डी.एम.एफ. चावल अब सुना है जल जीवन मिशन बिना किसी ठोस आधार के राज्य सरकार के सभी विभागों पर कार्यवाही यह साबित करने के लिये छत्तीसगढ़ में हर जगह गड़बड़ी हैं यह चुनावी हथियार है इसको हम जनता के बीच लेकर जायेंगे।
छत्तीसगढ़ में पिछले एक वर्ष में ई.डी. और आई.टी. अधिकारियों ने 200 से भी अधिक व्यक्तियों/संस्थाओं तथा शासकीय कार्यालयों में छापेमारी की गयी है। ई.डी. के अधिकारियों द्वारा दमन और प्रताडऩा को हथियार बनाकर बिना चल-अचल संपत्ति की रिकवरी के झूठे ब्यानों के आधार पर सैकड़ों करोड़ के कथित कोयला घोटाला, शराब घोटाला, चावल घोटाला तथा अब महादेव ऐप्स घोटाला होने का दुष्प्रचार किया जा रहा है ।
महत्वपूर्ण बिंदु -
1. महादेव ऐप घोटाला - महादेव ऐप तथा अन्य अनेक ऑनलाइन गेमिंग ऐप पूरे देश में चल रहे हैं। भाजपा शासित राज्य मध्य प्रदेश, हरियाणा, गुजरात, उत्तर प्रदेश तथा महाराष्ट्र जैसे राज्यों में ई.डी. द्वारा क्यों कार्यवाही नहीं की जा रही है। जब छत्तीसगढ़ में आंध्र प्रदेश की एफ.आई.आर के आधार पर कार्यवाही हो रही है तो देश के किसी भी राज्य में किसी एफ.आई.आर के आधार पर कार्यवाही की जा सकती है। यह उल्लेखनीय है कि सरकार के विशेष प्रयासों के कारण ही महादेव एप्स से संबंधित अनेक दोषी व्यक्तियों के विरुद्ध छत्तीसगढ़ पुलिस द्वारा सैकड़ों करोड़ के घोटाले का पर्दाफाश किया गया। महादेव एप्स घोटाले में भाजपा के अनेक शक्तिशाली व्यक्ति शामिल है। ई.डी. द्वारा भाजपाइयों को बचाने के षड्यंत्र की आड़ में मेरे निकट सहयोगियों एवं घोटाले का पर्दाफाश करने वाले पुलिस अधिकारियों को फंसाने का षड्यंत्र किया जा रहा है।
2. शौचालय घोटाला - राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य कार्यक्रम - 5 में यह जानकारी दी गयी है। कि छत्तीसगढ़ में ग्रामीण क्षेत्रों में मात्र 73.5 प्रतिशत लोगों के पास शौचालय है। रमन सिंह के कार्यकाल में ही पूरे राज्य को ओ.डी.एफ. घोषित किया जा चुका था। जिसका अर्थ यह है कि राज्य के ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों के शत् प्रतिशत परिवारों के पास शौचालय की सुविधा हो चुकी है। एक अनुमान के अनुसार राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले परिवारों की संख्या लगभग 50 लाख है। उनमें से 26.5 प्रतिशत लोगों के पास शौचालय नहीं है। ( हृ॥स्नस्-5 के अनुसार) 50 लाख का 26.5 प्रतिशत का अर्थ है कि लगभग 13 लाख परिवारों के पास शौचालय नहीं है। एक शौचालय की लागत 12,500 है। इसका अर्थ यह है कि लगभग 1500 करोड़ के शौचालय सिर्फ कागजों पर बने हैं और पूरी राशि को भाजपाइयों ने बन्दरबांट कर ली है क्योंकि हृ॥स्नस्-5 भारत सरकार द्वारा ही कराया जाता है अत: घोटाला स्वप्रमाणित है, इसकी ई.डी. जांच होना चाहिये।
3. नान घोटाला - नान घोटाले में सी.एम. सर और सी.एम. मैडम को समय-समय पर बड़ी राशि रिश्वत की राशि में से प्राप्त होने के अनेक दस्तावेज उपलब्ध हैं। वे दस्तावेज भी रमन सिंह के कार्यकाल में हुई जांच में बरामद हुये हैं। रमन सिंह एवं उसके परिवार की संपत्तियां 2008 से 2018 के बीच 18 गुना बढऩे की जानकारी स्वयं रमन सिंह एवं अभिषेक सिंह ने दी है। ई.डी. को फिर से प्रकरण की जांच हेतु ज्ञापन सौंपा जाना चाहिये।
4. चिटफण्ड घोटाला - रमन सरकार के कार्यकाल में रमन सिंह, उनके मंत्रियों एवं भाजपा के वरिष्ठ नेताओं के संरक्षण एवं उनकी भागीदारी में राज्य के लाखों गरीब परिवारों की जिंदगी भर की खून-पसीने की कमाई को सैकड़ों करोड़ की राशि चिटफंड कंपनियों ने लूटी थी। रमन सिंह के संरक्षण के कारण ही चिटफंड कंपनियां राज्य वासियों को लूट कर आसानी से राज्य से फरार हो गयीं। इसकी जांच ई.डी. क्यों नहीं कर रही।
5. रतनजोत घोटाला - रमन सरकार के कार्यकाल में रतनजोत प्लान्टेशन के नाम पर सैकड़ों करोड़ खर्च किये गये थे तथा नारा दिया गया था कि अब डीजल गाड़ी से नहीं बल्कि बाड़ी से मिलेगा। उन पेड़ों से नाम मात्र का ही डीजल प्राप्त हुआ था। रतनजोत का कोई वृक्ष जीवित नहीं है। बड़ा घोटाला हुआ है। किसी प्रमाण की आवश्यकता नहीं है।
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