संस्कारधानी के यश ने रचा इतिहास
रायपुर। भारत के हृदयस्थल छत्तीसगढ़ की पवित्र भूमि को सहसम्मान कीर्तिमान जैसा परिचय दिलाया है राजनांदगांव निवासी यश सोनी ने जिन्होंने 23 दिनों में 1800 किलोमीटर की विपरीत स्थितियों से जूझते हुए साइकिल यात्रा पूरी कर अयोध्या में भांजा प्रभु श्रीराम जी के दर्शन किए और जो दृढ़ संकल्प लेकर निकले थे कि पूरे छत्तीसगढ़ की माटी-आस्था-प्रार्थना के साथ पहुंचाऊंगा उसे भी पूरा किया । यह यात्रा भक्ति , दृढ़ संकल्प और पूर्ण समर्पण का अद्वितीय उदाहरण है और तो और युवा से लेकर बुजुर्ग तक और विभिन्न प्रकार के समाज को जागरूक करने और हिंदू संस्कृति की महत्वता को प्रदर्शित करने का एक प्रेरणादायक संदेश की गाथा भी है।
यात्रा का अनोखा सफर
यश ने अपनी यात्रा छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव से शुरू की और छत्तीसगढ़, झारखंड, बिहार, और उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों से होते हुए प्रभु श्रीराम जी के पास अयोध्या पहुंचे। इस दौरान उन्होंने छत्तीसगढ़ से अयोध्या पहुंचने में 35 जिलों को पार किया।
रास्ते में जनता का सहयोग
यात्रा के दौरान स्थानीय लोगों ने यश को फल व भोजन करा कर स्वयं जो ना पहुंच सकते थे उन्होंने मिट्टी के साथ-साथ चढ़ावा भी समर्पित किया । किसी ने 2 तो कहीं 11 तो किसी ने 21 रुपये का चढ़ावा दिया। इस तरह कुल 3256 रुपये की राशि प्रभु श्री राम जी के लिए चढ़ावा प्राप्त हुआ। यह दिखाता है कि हमारी संस्कृति में सेवा और सहयोग की भावना कितनी गहरी है।
विश्व हिंदू परिषद का स्वागत
यात्रा के दौरान जहाँ भी विश्व हिंदू परिषद के सदस्य मिले, उन्होंने यश का भव्य स्वागत किया। किसी ने रहने तो किसी ने खाने की व्यवस्था कराई, जिससे यश को अपनी यात्रा को निर्बाध रूप से जारी रखने में मदद मिली।
यश की प्रेरणा
यश का कहना है कि यह यात्रा उनके लिए केवल एक धार्मिक कर्तव्य नहीं थी, बल्कि यह उनके जीवन का सबसे महत्वपूर्ण अनुभव भी है। उन्होंने कहा, "श्रीराम के चरणों तक पहुंचने एवं पूरे छत्तीसगढ़ की माटी पहुंचने का सपना व संकल्प भी था
भविष्य के लिए संदेश
यश की यह साहसिक यात्रा हमें यह सिखाती है कि यदि हमारे अंदर दृढ़ इच्छाशक्ति और समर्पण हो, तो कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं है। यह यात्रा न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि यश सोनी का छत्तीसगढ़ के प्रति समर्पण प्यार सद्भावना और युवाओं को एकता, परिश्रम और संस्कृति के प्रति जागरूक करना भी है
छत्तीसगढ़ के लिए नम आंखों से बयां किया दर्द
यश सोनी ने अपनी इस ऐतिहासिक यात्रा की जानकारी छत्तीसगढ़ के लोगों, जनप्रतिनिधियों, शासन व प्रशासन को पहले ही दी थी, लेकिन उन्हें किसी विशेष समर्थन या सहायता नहीं मिला । यह अपेक्षा यश के हृदय को पीड़ा से भर देती है। एक ऐसा युवक जिसने राज्य और संस्कृति का मान बढ़ाने के पहले भी कई ऐतिहासिक यात्राएं की हैं और वर्तमान में पूरे छत्तीसगढ़ के लिए इतना बड़ा कदम उठाया उसे अपने ही छत्तीसगढ़ से अपेक्षित सहयोग नहीं मिलना, एक चिंतन व गहरे दुख का विषय है।
प्रसाद वितरण का अनूठा संकल्प
श्री सोनी का कहना है जिस आस्था प्रार्थना से लोगों के लिए आए हैं यहां से लौटने के बाद साइकिल से पूरे छत्तीसगढ़ वासियों को प्रसाद वितरण करेंगे इसके लिए उन्होंने विशेष तौर पर 50 किलो प्रसाद ट्रेन के माध्यम से पार्सल कराया, जिसे वे स्वयं पूरे छत्तीसगढ़ में साइकिल से घूमकर भक्तों के बीच वितरित करेंगे ।
घर ना जाकर पहले लोगों को प्रसाद पहुंचाऊंगा। यह कदम उनकी भक्ति , छत्तीसगढ़ के प्रति प्यार, निष्ठा, दृढ़ संकल्प और समाजसेवा को दर्शाता है।
अयोध्या में सम्मान और प्रशंसा
श्री सोनी जी की साइकिल बनी आकर्षण का विषय व प्रभु श्री राम के मंदिर प्रांगण के पंडितों ने यश की भक्ति-साहस को देखकर उन्हें गले लगाया और उनके हाथों में मंत्रों से मौली धागा बांधा । साथ ही, अयोध्या के प्रशासन व लोकल निवासियों ने यश को आश्वासन दिया कि वे भी छत्तीसगढ़ आकर वहां की संस्कृति-परंपरा-मिट्टी को करीब से देखना चाहेंगे सह परिवार के साथ।
यश सोनी की इस ऐतिहासिक यात्रा को संपूर्ण छत्तीसगढ़ और भारत के लोग लंबे समय तक याद रखेंगे। यह यात्रा न केवल यश के लिए, बल्कि पूरे समाज के लिए एक प्रेरणादायक गाथा है साथ ही साथ अब अयोध्या में राजनांदगांव संस्कारधानी गौरव का विषय बन चुका है औरत और अब वहां के लोगों ने भी थाना है कि हम छत्तीसगढ़ घूमने जरूर आएंगे श्री सोनी जी के कारण।
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