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Raipur

  • तंबाकू पर स्वास्थ्य कर बढ़ाने की मांग

    24-Nov-2023

    रायपुर। डॉक्टरों और अर्थशास्त्रियों के साथ जन स्वास्थ्य समूहों ने सरकार से अपील की है कि 2024-25 के केंद्रीय बजट में सभी तंबाकू उत्पादों पर उत्पाद शुल्क बढ़ाया जाये ताकि अतिरिक्त राजस्व प्राप्त हो सके। वित्त मंत्रालय से की गई अपनी अपील में इन सबों ने सिगरेट, बीड़ी और बगैर धुंए वाले तंबाकू पर स्वास्थ्य कर बढ़ाने का आग्रह किया है। उत्पाद शुल्क स्वास्थ्य कर है जो तंबाकू जैसे उन उत्पादों पर लगता है जिनका जन स्वास्थ्य पर स्पष्ट नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इन विशेषज्ञों के अनुसार, तम्बाकू की खपत को विनियमित करने के लिए कई सार्वजनिक नीति उपकरणों में से उत्पाद कर को बढ़ाना सबसे अधिक किफायती माना जाता है। यह दुनिया भर में हुए शोध के एक बड़े समूह पर आधारित है। हेल्थ यानी स्वास्थ्य कर को सिन (पाप) टैक्स के रूप में भी जाना जाता है। अक्सर इसे प्राप्त करने के लिए कई देशों में इसका उपयोग किया जाता है।


    एक हालिया अध्ययन के अनुसार, पिछले 10 वर्षों में सिगरेट, बीड़ी और बगैर धुंए वाले तंबाकू जैसे उत्पाद लगातार सस्ते हुए हैं। हाल ही में, सिगरेट पर एनसीसीडी में मामूली वृद्धि हुई है, लेकिन इसके अलावा जुलाई 2017 में जीएसटी की शुरुआत के बाद से तंबाकू करों में कोई बड़ी वृद्धि नहीं हुई है। वर्तमान जीएसटी दर, मुआवजा उपकर, एनसीसीडी और केंद्रीय उत्पाद शुल्क को जोड़कर कुल कर बोझ (अंतिम कर सहित खुदरा मूल्य के प्रतिशत के रूप में कर) सिगरेट के लिए केवल 49.3%, बीड़ी के लिए 22% और धुआं रहित तंबाकू के लिए 63% है। विश्व स्वास्थ्य संगठन सभी तंबाकू उत्पादों पर खुदरा मूल्य का कम से कम 75% कर बोझ डालने की सिफारिश करता है। लेकिन सभी तंबाकू उत्पादों पर कर का मौजूदा बोझ इससे काफी कम है।

    राजगिरी कॉलेज ऑफ सोशल साइंसेज, कोच्चि में स्वास्थ्य अर्थशास्त्री और सहायक प्रोफेसर डॉ. रिजो जॉन ने कहा, “इस तथ्य के मद्देनजर कि जीएसटी को लागू हुए छह साल से अधिक समय हो चुका है और इस अवधि में तंबाकू उत्पादों पर कोई बड़ी कर वृद्धि नहीं हुई है, केंद्र सरकार के लिए यह महत्वपूर्ण है वह तंबाकू पर टैक्स बढ़ाने के बारे में विचार करे और यह राष्ट्रीय आपदा आकस्मिक शुल्क (एनसीसीडी) में मामूली वृद्धि से अलग हो जो तंबाकू पर लगाए गए कुल करों का 10% से भी कम है। जब सरकार तंबाकू पर कर बढ़ाने से बचती है, तो तंबाकू कंपनियां स्वतंत्र रूप से कीमतें बढ़ा देती हैं, जिससे उनका मुनाफा बढ़ जाता है। नतीजतन, सरकार जो संवर्धित राजस्व एकत्र कर सकती थी, उसे उद्योग के मुनाफे की ओर मोड़ या घुमा दिया जाता है।”

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