गरियाबंद। पहली बार नशे की टेबलेट बेचते एक आरोपी को पकड़ने में कोतवाली पुलिस को सफलता मिली है. पुलिस ने शनिवार को पारागाव रोड में टेबलेट के लिए ग्राहक देख रहे आरोपी सद्दाम खान उम्र 35 साल को 300 नग एनाजोलम और एप्राजोलम नामक टेबलेट के साथ गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है. थाना प्रभारी कृष्णा जांगड़े ने कार्रवाई की पुष्टि करते हुए बताया कि डाक बंगला पारा निवासी आरोपी आदतन बदमाश है. मुखबिर की सूचना मिलते ही उच्च अधिकारियों के निर्देश में स्पेशल टीम और आबकारी विभाग के साथ मिलकर कार्रवाई की गई है. आरोपी के खिलाफ एनडीपीएस की धारा 22(ख) के तहत कार्रवाई की गई है। नशीली दवाओं का कारोबार पहले राजिम तक सिमीत था. अब जिला मूख्यालय के अलावा छुरा और मैनपुर में भी पांव पसार गया है. नशीली दवा की एक टेबलेट 20 से 24 घंटे तक अपना असर दिखता है. इसकी एक पत्ते की एमआरपी 34 से 40 रुपये तक है, जिसे ब्लैक में 100 रुपये में खरीदी कर अधिकतम 300 रुपये प्रति पत्ते तक आसानी से बेचा जाता है. नशे के अन्य समाग्री से इसकी कीमत काफी सस्ता है, साथ ही इसके सेवन से बदबू नहीं आती, ऐसे में इसे समान्य नशेड़ी के अलावा स्कूली कॉलेज छात्र भी इस्तेमाल करना शुरू कर दिए हैं। सूत्र बताते हैं जिले में रोजाना 100 से भी ज्यादा पत्ते की खपत है। नियम के मुताबिक इस दवा का सेवन करने वालों को डॉक्टर के पर्ची के बगैर नहीं बेचना है. पर्ची संलग्न कर बिल के साथ ही दवा विक्रय का प्रावधान है. राजधानी रायपुर में मौजूद होल सेल कारोबारियों से लाने के लिए मेडिकल लाइसेंस नंबर दर्ज कराना होता है. विक्रय के कड़े नियम के बावजूद प्रतिबंधित सशर्त बेची जाने वाली दवा खुलेआम आपराधिक किस्म के लोगों के द्वारा बेचा जाना कहीं न कहीं ड्रग डिपार्ट के कार्य शैली पर भी सवाल उठाता है. मेडिकल स्टोर की नियमित परीक्षण, स्टॉक वेरिफिकेशन जैसे नियमों का कितना पालन हो रहा है? आसानी से भारी मात्रा में यह दवा अपराधिक तत्वों के पास कैसे उपलब्ध हो रहा है यह भी जांच का विषय है।
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