रायपुर. छत्तीसगढ़ में लोकसभा चुनाव खत्म होने के साथ ही साय कैबिनेट में फेरबदल की चर्चा तेज हो गई है. इस बीच मंत्री टंकराम वर्मा ने कैबिनेट में बदलाव को लेकर मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि इसपर कुछ नहीं कह सकते. हाई कमान जो निर्णय लेते हैं, वह हमें स्वीकार होता है. हमें जो भी जिम्मेदारी मिल जाए उसे निभाते हैं, कार्य करते हैं. लगन और ईमानदारी के साथ काम करने की कोशिश करते हैं.
दरअसल, आज भाजपा विधायक दल की बैठक बुलाई गई, जिसे लेकर खेल मंत्री टंकराम वर्मा ने बताया कि विधायकों की रूटीन बैठक रखी गई है, लोकसभा चुनाव संपन्न हो चुकी है, इसे लेकर चर्चा की जाएगी. इसके साथ ही उन्होंने अन्य मुंद्दों पर बयान दिया.
पीएम मोदी की गारंटी और सीएम साय के सुशासन से मिली जीत : मंत्री वर्मा
लोकसभा चुनाव के दौरान सामने आए कांग्रेस की अंतरकलह को लेकर उन्होंने कहा कि यह कांग्रेस का अंदरूनी मामला है, बीजेपी की जीत का कारण प्रधानमंत्री की उपलब्धियां है. जनकल्याणकारी योजनाओं का यह परिणाम है. विधानसभा चुनाव में घोषणाएं की गई, उसे सत प्रतिशत लोगों तक पहुंचाने का काम मुख्यमंत्री ने किया. मोदी की गारंटी और विष्णु के सुशासन से भाजपा को जीत मिली. इसका असर प्रदेश में अच्छा रहा.
कांग्रेस पर कसा तंज
केबिनेट मंत्री टंकराम वर्मा ने लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस नेताओं के बयानबाजी को लेकर भी विपक्ष पर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि राजनीति में सुचिता होनी चाहिए. पद का मान-सम्मान होना चाहिए. असंसदीय शब्दों के प्रयोग के कारण कांग्रेस डूब गई.
छत्तीसगढ़ से केंद्रीय मंत्री बनने की संभावना
वहीं लोकसभा चुनाव में भाजपा की जीत के बाद केंद्रीय मंत्री बनने की संभावना पर कहा, कि हम भी चाहते हैं कि छत्तीसगढ़ से ज्यादा से ज्यादा प्रतिनिधित्व मिले. छत्तीसगढ़ से केंद्र में ज्यादा मंत्री होंगे तो गर्व की बात है.
साय कैबिनेट में फेरबदल पर मंत्री टंकराम:
साय कैबिनेट में फेरबदल को लेकर मंत्री टंकराम वर्मा ने कहा, कि समीक्षा सभी सीटों की होती है, हार हो या जीत हो. कैबिनेट के बदलाव के बारे में कुछ नहीं कह सकते. हाई कमान जो निर्णय लेते हैं, वह हमें स्वीकार होता है. हमें जो भी जिम्मेदारी मिल जाए उसे निभाते हैं, कार्य करते हैं. लगन और ईमानदारी के साथ काम करने की कोशिश करते हैं.
हसदेव जंगल पर मंत्री टंकराम
केबिनेट मंत्री टंकराम वर्मा ने हसदेव जंगल को लेकर नेता प्रतिपक्ष चरण दास महंत के राज्यपाल को लिखे गए पत्र को लेकर कहा, कि हसदेव की कटाई पुरानी है. कांग्रेस सरकार में भी कटाई हुई. शुरुआत उनके द्वारा की गई थी, लेकिन उस समय वे मौन थे.
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