दुर्ग। दाऊ वासुदेव चंद्राकर कामधेनु विश्वविद्यालय, दुर्ग के कुलपति व संभागायुक्त महादेव कावरे के मार्गदर्शन में अंजोरा परिसर में स्थित कामधेनु पंचगव्य अनुसंधान व विस्तार केंद्र के निदेशक डॉ. संजय शाक्य के निर्देशन में इको फ्रेंडली विशुद्ध गोबर से निर्मित भगवान गणेश की मूर्ति बनाने का एक दिवसीय प्रशिक्षण डॉ. राकेश मिश्रा की ओर से दिया गया। इस प्रशिक्षण में उतई, पुरई, नगपुरा, महमरा, मोहलई व अंजोरा गांव से 25 महिला प्रशिक्षणार्थियों ने प्रशिक्षण प्राप्त किया। इस अवसर पर डॉ. संजय शाक्य ने प्रशिक्षणार्थियों को बताया कि विशुद्ध गोबर से निर्मित भगवान गणेश की मूर्ति बनाने का मुख्य उद्देश्य पर्यावरण की सुरक्षा है। इसे स्वरोजगार के रूप में भी अपनाया जा सकता है। इस मूर्ति में किसी भी प्रकार के सिंथेटिक रंगों का प्रयोग नहीं किया गया हैं। प्लास्टर ऑफ पेरिस से बनी मूर्तियों में रासायनिक रंगों का उपयोग किया जाता है, विसर्जन उपरांत सभी रासायनिक रंग पानी में घुल जाते है, जिससे अनेक प्रकार की बीमारी हो सकती है। ऐसे जल का उपयोग खेतों में सिंचाई के लिए करने पर फसल को भी काफी नुकसान होता है। गोबर से बने मूर्ति से प्रदूषण नहीं फैलता व तत्काल मिट्टी में मिल जाने के कारण यह खाद का भी काम करता है। प्रशिक्षणार्थियों को पंचगव्य संस्थान के निदेशक व विश्वविद्यालय जनसंपर्क अधिकारी डॉ. दिलीप चौधरी द्वारा प्रमाण पत्र वितरण पश्चात रमेश कुमार मरावी द्वारा धन्यवाद ज्ञापित कर कार्यक्रम का समापन किया गया।
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