बलरामपुर। जिले की खनिज शाखा में दस्तावेजों को आग लगवाकर भ्रष्टाचार छिपाने का आरोप लगा है। इस घटना में खनिज अधिकारियों, आरटीआई शाखा के लिपिक, ठेकेदारों और क्रेशर संचालकों की मिलीभगत बताई गई है। सरगुजा संभाग के आयुक्त ने इसे लेकर जांच के आदेश दिए हैं। अधिवक्ता और आरटीआई कार्यकर्ता डॉ. डीके सोनी ने 12 अगस्त 2024 को सरगुजा संभाग आयुक्त के समक्ष शिकायत दर्ज कराई थी। इस शिकायत में कहा गया कि बलरामपुर की खनिज शाखा, जो कंपोजिट बिल्डिंग में स्थित है, में जानबूझकर आग लगवाई गई। इस आग में ऐसे दस्तावेज जले हैं, जो 1000 करोड़ से अधिक की रॉयल्टी क्लीयरेंस से जुड़े थे। आरोप है कि इन दस्तावेजों को इस तरह रखा गया था ताकि खिड़की से आग लगाई जा सके।
शिकायत के अनुसार, बलरामपुर खनिज शाखा के अधिकारी और लिपिकों ने ठेकेदारों और क्रेशर संचालकों के साथ मिलकर यह साजिश रची थी। खासतौर पर, ग्राम भेसकी स्थित महामाया क्रेशर से जुड़ी जानकारी को आरटीआई के तहत मांगा गया था, जिसे छिपाने के लिए आग लगवाई गई। यह जानकारी सार्वजनिक हो जाने पर अवैध खनन और सैकड़ों करोड़ की माइनिंग राशि चोरी का खुलासा हो सकता था।
बलरामपुर खनिज विभाग में फर्जी पिट पास के जरिए करोड़ों की रॉयल्टी क्लीयरेंस जारी करने के भी गंभीर आरोप हैं। जांच में पाया गया कि दूसरे जिलों से जुड़े मामलों को भी बलरामपुर माइनिंग विभाग में निपटाया गया, जबकि ये मामले संबंधित जिलों में निपटाए जाने चाहिए थे। इसके अलावा, जशपुर में पकड़े गए फर्जी पिट पास मामले में भी बलरामपुर के अधिकारियों की मिलीभगत सामने आई है। सरगुजा संभाग आयुक्त ने 22 अगस्त को कलेक्टर बलरामपुर को 15 दिनों के भीतर इस मामले की जांच कर रिपोर्ट प्रस्तुत करने का आदेश दिया है। जांच में दोषी पाए जाने पर संबंधित अधिकारियों और कर्मचारियों पर आपराधिक मामला दर्ज किया जाएगा।
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