बिहार की रुपौली विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में एनडीए और महागठबंधन को हराकर जीत दर्ज करने वाले निर्दलीय उम्मीदवार शंकर सिंह चर्चा में आ गए हैं। हालांकि, शंकर सिंह क्षेत्र के पुराने नेता हैं। वे लोजपा से एक बार विधायक भी रह चुके हैं। इस बार उन्होंने लोजपा से नाता तोड़कर निर्दलीय चुनाव लड़ा और आरजेडी की बीमा भारती एवं जेडीयू के कलाधर मंडल को पटखनी दी। राजपूत समाज से आने वाले शंकर सिंह की गिनती बाहुबली से राजनेता बने चंद लोगों में होती है।
बताया जाता है कि शंकर सिंह एक समय में लिबरेशन आर्मी नाम का गिरोह चलाते थे। इस दौरान उनकी बीमा भारती के पति अवधेश मंडल के गिरोह से भिड़ंत्त भी होती थी। दोनों के बीच वर्चस्व को लेकर काफी अदावत रही। शंकर सिंह की राजनीति में साल 2000 में एंट्री हुई। पहली बार वे 2005 में लोजपा के टिकट पर रुपौली से विधानसभा चुनाव जीते, हालांकि तब किसी को बहुमत नहीं मिलने से बिहार में सरकार नहीं बन पाई और 6 महीने बाद फिर से चुनाव हुए। अगले चुनाव में बीमा भारती दोबारा रुपौली से जीत गईं और शंकर सिंह को हार का सामना करना पड़ा।
इसके बाद शंकर सिंह 2010, 2015 और 2020 में लगातार विधानसभा चुनाव लड़ते रहे, लेकिन जीत नहीं पाए। इस बार उपचुनाव में उन्होंने अपना पूरा दमखम लगा दिया और पांच बार की विधायक रहीं बीमा भारती को हराकर 19 साल बाद फिर से विधायक बन गए हैं। शंकर सिंह को इस बार सिर्फ अगड़ी जाति ही नहीं बल्कि पिछड़ी जातियों और अल्पसंख्यकों का भी समर्थन भी मिला। उपचुनाव में ग्राउंड प्रचार के साथ वे सोशल मीडिया पर भी छाए रहे।
पूर्णिया जिले की रुपौली विधानसभा सीट पर हाल ही में उपचुनाव में शंकर सिंह ने निर्दलीय लड़कर जेडीयू के कलाधर मंडल को 8211 वोटों से हराया। वहीं, आरजेडी की बीमा भारती तीसरे नंबर पर रहीं। 2020 के विधानसभा चुनाव में बीमा भारती जेडीयू के टिकट पर जीती थीं। जबकि लोजपा के टिकट से लड़े शंकर सिंह दूसरे नंबर पर रहे थे। वहीं, कलाधर मंडल निर्दलीय लड़े थे और चौथे नंबर पर रहे।
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